Friday, May 22, 2020

साधना

*शिक्षा क्षयं गच्छति कालपर्ययात् सुबद्धमूला निपतन्ति पादपाः।*
*जलं जलस्थानगतं च शुष्यति हुतं च दत्तं च तथैव तिष्ठति।।*
             (कर्णभारम्-२२)

समय के साथ शिक्षा का क्षय हो जाता है, अच्छी तरह जड़ से जमा हुआ वृक्ष भी धराशाई हो जाता है। जलाशय में रहा पानी भी समय के साथ कालांतर मे सूख जाता है, परंतु यज्ञ की अग्नि में समर्पित आहूति और दिया गया दान कभी नष्ट नहीं होता, सदैव ही शाश्वत रहता है।

Over time, education disappears, a tree that is well-rooted also collapses. The water in the reservoir dries out over time, but the sacrificial offering in the fire of a _yajna_ and donation given are never destroyed, remain always in perpetuity.

*करी साधना घर रह कर,*
*स्वस्थ रखेगी जीवन भर,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान रखें,*
*घर पर रुक कर स्वस्थ रहें।*

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Thursday, May 21, 2020

उदारता

*पत्रपुष्पफलच्छायामूलवल्कलदारुभिः।*
*धन्यामहीरुहा येभ्यो निराशा यान्ति नाऽर्थिनः।।*
                                             
धन्य हैं वे वृक्ष जो अपने पत्तों, फूलों, फलों, जड़ों, छाल, लकड़ी और छाया से प्राणिमात्र की सहायता करते हैं और उनके पास से कोई भी याचक निराश नहीं लौटता है।

Blessed are the trees, who help all the living beings by providing their leaves, flowers, fruits, roots, bark and cool shade, and nobody  returns with empty hands.

*बड़ अमावस्या, वट सावित्री एवं शनि जयन्ति के इस विशेष पर्व पर सभी के सौभाग्य में वृद्धि हो ऐसी शुभकामनाएँ*

*हृदय उदारता भरें,*
*मनुष्यता मनुज धरें,*
*समस्त रोग से लड़ें,*
*निरोग हम सभी रहें।*

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Wednesday, May 20, 2020

प्रकार

*ऐश्वर्यमल्पमेत्य प्रायेण हि दुर्जनो भवति मानी।*
*सुमहत्प्राप्यैश्वर्यं प्रथमं प्रतिपद्यते  सुजनः।।*

दुर्जन, थोड़ा सा भी ऐश्वर्य पा कर प्रायः बहुत ही गर्वीले और चञ्चल (अधीर) हो जाते हैं, परन्तु सज्जन बहुत अधिक ऐश्वर्यवान हो कर भी शान्त और मृदुल स्वभाव के ही बने रहते हैं।

(तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में कहा है :
*छुद्र नदी भरि चली तोराई।* 
*जस थोरहु धन खल इतराई।।*)

A wicked person having acquired even a bit of prosperity and power becomes very capricious and proud, whereas a noble person even after acquiring abundant power and prosperity still remains very calm and quiet.

*अपना अपना ध्यान रखें,*
*एक नियम का मान रखें,*
*व्यर्थ नहीं बाहर विचरें,*
*भीड़ भाड़ से दूर रहें।*

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Tuesday, May 19, 2020

विचार

*मनस्यन्यद्वचस्यन्यत्कार्ये चाऽन्यदुरात्मनाम् ।*
*मनस्येकं वचस्येकं कर्मण्येकं महात्मनाम् ।।*

दुष्ट और नीच व्यक्तियों के विचार कुछ और होते है पर वे कहते कुछ और ही हैं और करते भी कुछ और ही हैं। इसके विपरीत सज्जन और महान् व्यक्ति जो सोचते हैं वही कहते हैं और करते भी वही हैं।

The thoughts of wicked and mean persons are different than what they speak and ultimately do, whereas the thoughts, their expression and subsequent action by the noble and righteous persons are always the same.

*नियम सदा ही पालें हम,*
*अपना स्वास्थ्य सम्भालें हम,*
*मुँह पर मास्क लगालें हम,*
*घर से जाना टालें हम।*

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Monday, May 18, 2020

वाणी

*वाणी रसवती यस्य*
*यस्य श्रमवती क्रिया।*
*लक्ष्मी: दानवती यस्य* *सफलं तस्य जीवितम्॥*

जिस मनुष्य की वाणी मीठी है, जिसका कार्य परिश्रम से युक्त है, जिसका धन दान करने में प्रयुक्त होता है, उसका जीवन सफल है।

The person whose speech is sweet, whose work is full of hard work, whose money is used for noble causes, his life is successful.

*एक महामारी आयी है,*
*सारी दुनिया घबरायी है,*
*हमने खूब तपस्या की,*
*रीति बदल दी जीने की,*
*एक नया सोपान चढ़ें,*
*नया कीर्तिमान गढ़ें।*

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Sunday, May 17, 2020

कर्म

*आस्ते भग आसीनस्य, ऊर्ध्वंतिष्ठति तिष्ठतः ।*
*शेते निपद्यमानस्य, चरति चरतो भगः।*
*चरैवेति चरैवेति॥*

जो मनुष्य (कुछ काम किये बिना) बैठता है, उसका भाग्य भी बैठ जाता है। जो उठ खड़ा होता है, उसका भाग्य भी उठ जाता है। जो सोता है, उसका भाग्य भी सो जाता है एवम् जो चलने लगता है, उसका भाग्य भी चलने लगता है। 

अर्थात् कर्म से ही भाग्य है।

A person who sits (without doing anything), his fate also doesn't work. The one who is ready to work, his fate also starts working. 
The doers are helped with luck/ fate. The fate doesn't help undoer. 

*माना घर में ही रहना है,*
*किन्तु न कर्म कभी तजना है,*
*घर में रहकर काम करें,*
*निज स्वास्थ्य का ध्यान धरें।*

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Saturday, May 16, 2020

शपथ

*असद्भिः शपथेनोक्तं जले लिखितमक्षरम्।*
*सद्भिस्तु लीलया प्रोक्तं शिलालिखितमक्षरम्॥*

असभ्य ( दुष्ट स्वभाव के) व्यक्तियों द्वारा किसी कार्य को करने हेतु ली गयी शपथ जल में लिखे गये अक्षरों के समान (अस्थायी) होती है ,अर्थात वे उसका अनुपालन नहीं करते हैं। इस के विपरीत सभ्य (सज्जन और सत्यवादी) व्यक्तियों द्वारा हँसी मजाक में भी कही हुई कोई बात एक शिलालेख के समान (स्थायी) होती है,
अर्थात वे जो कहते हैं उसे अवश्य पूरा कर के दिखाते हैं।

The commitments made by persons of evil temperament even under oath are just like words written on the surface of water (which
disappear immediately) and are not honoured by them.  On the other
hand commitments made by upright and truthful persons even casually are like the words engraved on a slab of stone (permanent) and are duly honoured by them.

*हम भी अपना वचन निभाएँ,*
*कार्य बिना न बाहर जाएँ,*
*मुँह पर बाँधो मास्क सदा,*
*हाथ स्वच्छ हों सब सुखदा।*

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Friday, May 15, 2020

संयम

*यस्मै देवाः प्रयच्छन्ति पुरुषाय प्रराभवम्।*
*बुद्धिं तस्यापकर्षन्ति सोऽवाचीनानि पश्यति।।*

To make defeat one's fate, God snatches his wisdom first. Thus he does not see any good aspect of life, he can only see bad and bad.

जिसके भाग्य में पराजय हो, ईश्वर उसकी बुद्धि पहले ही छीन लेते हैं, इससे उस व्यक्ति को अच्छी बातें नहीं दिखायी देती, वह केवल बुरा-ही-बुरा देख पाता है।

*संयम का व्रत रखें सदा*
*अच्छा अच्छा लखें सदा*
*घर में रहना अभी जरूरी*
*भीड़ भाड़ से रखना दूरी*

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Thursday, May 14, 2020

मूर्खो से बचे

*मूर्खेण सह संयोगो विषादपि सुदुर्जरः।*
*विज्ञेन सह संयोगः सुधारससमः स्मृतः॥*

मूर्खों से सम्पर्क विष से भी अधिक अनिष्टकारी होता है और इसके विपरीत विद्वानों का सम्पर्क अमृत तुल्य माना गया है।

To befriend and deal with a fool will do greater damage than poison. But accompany with a wise man is similar to have nectar.

*खतरा अभी टला नहीं है,*
*ये मामूली बला नहीं है,*
*मूर्खों से भी बचें स्वयं हम*
*संयमित हो रहें स्वयं हम।*

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Wednesday, May 13, 2020

ध्यान

*दुर्लभं त्रयमेवैतत् देवानुग्रहहेतुकम्।*
*मनुष्यत्वं मुमुक्षुत्वं महापुरूषसंश्रय:॥*

यह तीन दुर्लभ हैं और देवताओं की कृपा से ही मिलते हैं : मनुष्य जन्म, मोक्ष की इच्छा और महापुरुषों का साथ।

These three are very difficult to get and can be achieved only by the grace of the God : birth as human, desire for salvation and company of the nobles.

*मिला मनुज तन इसे बचाएँ,*
*हम अपना आरोग्य बढ़ाएँ,*
*ध्यान, योग नियमित अपनाएँ*
*हर बीमारी दूर भगाएँ*

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