Wednesday, January 8, 2020

लक्ष्य

*रत्नैर्महाब्धे:  तुतुषुर्न  देवाः न  भेजिरे  भीमविषेन  भीतिम्।*
*सुधां विना न प्रययुर्विरामं न निश्चितार्थाद्विस्मरन्ति धीराः।।*
                                                
समुद्र मन्थन द्वारा अनेक रत्नों को प्राप्त कर के भी देवगण संतुष्ट नहीं हुए और भयङ्कर कालकूट विष के प्रकट होने पर भी न तो भयभीत हुए और न निरुत्साहित हुए। उन्होंने अपने प्रयासों को तब तक विराम नहीं दिया जब तक कि उन्हें *अमृत* की प्राप्ति नहीं हो गयी। 

सचमुच दृढ निश्चय वाले और वीर व्यक्ति अपने उद्देश्य और लक्ष्य को कभी भी नहीं भूलते हैं।

During the course of churning of the Ocean by the Gods, they were not satisfied after getting many jewels, nor they were deterred and afraid when the awesome poison 'Kaalkoot' came out of the depth of the Ocean and they did not stop their endeavour, until they got 'Amruta' _the divine nectar_. 

It is true that brave and strong minded persons never forget their objective and the goal.

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏻

Saturday, January 4, 2020

परमतत्व

*यच्चापि सर्वभूतानां बीजं तदहमर्जुन।*
*न तदस्ति विना यत्स्यान्मया भूतं चराचरम् ।।*
गीता : अध्याय १०, श्लोक ३९।
परमतत्व की व्यापकता को समझाते हुए श्रीकृष्ण कहते हैं,

और हे अर्जुन! जो सब भूतों (प्रत्येक जीव) की उत्पत्ति का कारण है, वह भी मैं ही हूँ, क्योंकि ऐसा चर और अचर कोई भी नहीं है, जो मुझसे रहित हो।

Arjuna! I am even that which is the seed of all life, as there is no creature, moving or inert, which exists without Me.

कण कण में व्याप्त परमतत्व को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Friday, January 3, 2020

आदि एवं अंत

*अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित:।*
*अहमादिश्च मध्यं च भूतानामन्त एव च।* 

गीता : अध्याय 10, श्लोक 20

गीता के अध्यायों में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं अर्थात परमतत्व के विराट स्वरूप के बारे में अर्जुन को विस्तार से बताते हुए कहते हैं,

हे अर्जुन! मैं सब भूतों (नश्वर शरीरों) के हृदय में स्थित सबका आत्मा हूँ तथा सम्पूर्ण भूतों (घटनाओं) का आदि (प्रारम्भ), मध्य और अन्त भी मैं ही हूँ।

Arjuna! I am the Self, seated in the hearts of all creatures. I am the beginning, the middle and the end of all beings.

परमतत्व को समझें।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, December 31, 2019

नव वर्ष की शुभकामनाएं

आपको और आपके परिवार को नववर्ष 2020की हार्दिक शुभकामनाएं।
इस अवसर पर ईश्वर से यही प्रार्थना है कि वह वैभव, ऐश्वर्य, उन्नति, प्रगति, स्वास्थ्य, प्रसिद्धि और समृद्धि के साथ साथ आजीवन आपको जीवन पथ पर गतिमान रखे।
नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹

Monday, December 30, 2019

कर्म

*अवश्यमेव भोक्तव्यं कृतं कर्म शुभाऽशुभम्।*
*नाभुक्तं क्षीयते कर्म कल्प कोटि शतेरऽपि॥*

अपना किया हुआ जो कुछ शुभ-अशुभ कर्म है, वह अवश्य ही भोगना पड़ता है। बिना भोगे तो सैंकड़ों-करोड़ों कल्पों के गुजरने पर भी कर्म एवं उसका फल नहीं टल सकता।

The result of any action done either good or bad, has to be enjoyed. It can't be forfeited even after thousands of years.

आएँ एक बार पुनः सन 2019 में किये गये कर्मों का सिंहावलोकन करें एवं सन 2020 हेतु संकल्पित होकर नयी आशा के साथ भविष्य का स्वागत करें।

*सन 2020 के आगमन की शुभेच्छा।*

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Friday, December 27, 2019

परमगति

*तस्मात् असक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार।*
*असक्त: अाचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुष:।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक १९।

ज्ञानी पुरुष के समान फल की अपेक्षा नहीं रखते हुए, फल की आ‍सक्ति छोड़ कर अपना कर्त्तव्‍य कर्म सदैव करें; क्‍योंकि आ‍सक्ति छोड़ कर कर्म करने वाले मनुष्‍य को परमगति प्राप्‍त होती है।

By efficiently doing his duties without attachment or doing work without attachment, a man attains the supreme.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Thursday, December 26, 2019

विदुर नीति

*असम्यगुपयुक्तं हि ज्ञानं सुकुशलैरपि,*
*उपलभ्यं चाविदितं विदितं चाननुष्ठितम्॥*
विदुर नीति

That knowledge is useless, by which one can't sense his duty and that duty is also worthless which has no meaning.

वह ज्ञान व्यर्थ है, जिससे कर्तव्य का बोध न हो और वह कर्तव्य भी व्यर्थ है जिसकी कोई सार्थकता न हों।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Wednesday, December 25, 2019

परमतत्व

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of God.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 24, 2019

दान

*दातव्यं भोक्तव्यं धनविषये संचयो न कर्तव्य:।*
*पश्येह मधुकरीणां संचितार्थ हरन्त्यन्ये।।*

दान कीजिये अथवा उपभोग, किन्तु धन का संचय न कीजिये।
मधुमक्खी का संचित मधु कोर्इ और ले जाता है।

The best use of wealth is to be donated or to be used. but not to be accumulated. The honey accumulated by honeybees is taken by others.

शुभ दिन हो।

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Sunday, December 22, 2019

क्रोध

*क्रोधमुग्धधियां नैव सुखं कालत्रयेऽपि च।*
*दृष्टं कदाप्युलूकानां क्रीडनं फुल्लपङ्कजे।।*

जिन व्यक्तियों का मन सदा क्रोध से भरा रहता है उन्हें न तो वर्तमान में और न ही भविष्य में सुख प्राप्त होता है। क्या कभी उल्लुओं को खिले हुए कमल के फूलों से भरे हुए किसी सरोवर में क्रीड़ा करते हुए देखा है?

Those persons whose mind is always in a state of bewilderment due to their angry nature, neither feel happy and comfortable at present nor in the future. Has any one ever seen owls enjoying the blooming lotus flowers in a lake? 

क्रोध से बचें।

शुभ दिन हो।

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