Wednesday, February 5, 2020

आत्म प्रवचन

*परैरुक्तगुणो यस्तु निर्गुणोऽपि गुणी भवेत्।*
*इन्द्रोऽपि लघुतां याति स्वयं प्रख्यापितैर्गुणै:।।*
                                    
यदि अन्य जन किसी व्यक्ति को गुणवान कहते हैं तो वह व्यक्ति गुणहीन होते हुए भी गुणवान समझा जाता है। परन्तु यदि कोई व्यक्ति स्वयं ही अपने गुणों का वर्णन करता है तो चाहे स्वयं देवताओं के राजा इन्द्र ही हों, वह अपनी गरिमा खो देता है।

If people treat someone as virtuous, in spite of his being without any virtuous, he is treated as a virtuous person. But if someone declares himself as a virtuous person, he loses his dignity, even if he may be Indra, the king of Gods.

आत्म प्रवंचना से बचें।

शुभ दिन हो।

💐🌹🌺🙏🏻

No comments: