Monday, April 6, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*उत्साह कभी नहीं खोना*
*हारेगा निश्चित कोरोना*

शुभ दिन हो।

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Saturday, April 4, 2020

महादेव

*वयम् अमृतस्य पुत्रा:।*
                      श्वेताश्वर उपनिषद

हम अमृत तत्व से उत्पन्न हुए हैं। हम अविनाशी ईश्वर का एक अंश हैं।

We are children of the nector element. We are a part of eternal imperishable GOD.

शुभ दिन हो।

*देवपुत्र हम, यह विश्वास नहीं खोना,*
*यह निश्चित है, हारेगा कोरोना।*

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Friday, April 3, 2020

प्रभु स्मरण

*काम क्रोध मद लोभ सब नाथ नरक के पंथ।*
*सब परिहरि रघुबीरहि भजहूँ भजहिं जेहि संत।।*

Anger, Lust, Arrogance, Greed all these are gateway to the Hell/ disaster. So we should get rid of them by chanting the name of God. As they noblemen do.

काम क्रोध मद (अभिमान) लोभ, ये सभी नरक में ले जाने वाले रास्ते हैं, इसलिए इन सभी का त्याग कर के श्री रघुबीर (श्री राम जी) का स्मरण करें, जिनका संतजन भी भजन करते हैं।

*करउ दिन रात भजन भगवाना,*
*किन्तु न घर से बाहर जाना।*

शुभ दिन हो।

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Thursday, April 2, 2020

प्रकार

*काटेहिं पइ कदरी फरइ, कोटि जतन कोउ सींच।*
*बिनय न मान खगेस सुनु, डाटेहिं पइ नव नीच।।*

जिस प्रकार केले का पेड़ काटने पर ही फलता एवम् बढ़ता है, चाहे कोई कितना भी सींचे। उसी प्रकार नीच व्यक्ति (खलबुद्धि), विनय से नहीं मानता, बल्कि डाँटने पर ही रास्ते पर आता है।

Just as a banana tree grows well on cutting it, no matter how well watered. In the same way, the lowly person does not believe in humility, but sets right only after scolding.

शुभ दिन हो।

*कोई कुछ भी भले करे,*
*हम घर से बाहर नहीं फिरें।*

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Wednesday, April 1, 2020

रामनवमी

*जोग लगन ग्रह बार तिथि, सकल भये अनुकूल।*
*चर अरु अचर हर्षजुत, राम जनम सुखमूल॥*

योग, लग्न, ग्रह, वार और तिथि सभी अनुकूल हो गये। जड़ और चेतन सब हर्ष से भर गये। श्री राम का जन्म सभी सुखों को देने वाला  है॥

*नौमी तिथि मधु मास पुनीता।* *सुकल पच्छ अभिजित हरिप्रीता॥*
*मध्यदिवस अति सीत न घामा।* 
*पावन काल लोक बिश्रामा॥*

*सीतल मंद सुरभि बह बाऊ।* *हरषित सुर संतन मन चाऊ॥*
*बन कुसुमित गिरिगन मनिआरा।* 
*स्रवहिं सकल सरिताऽमृत धारा।।*

चैत्र का पवित्र माह था, नवमी तिथि थी। शुक्ल पक्ष और भगवान का प्रिय अभिजित्‌ मुहूर्त था। दोपहर का समय था। न अधिक सर्दी थी, न अधिक धूप (गरमी) थी। वह पवित्र समय सब लोकों को शांति देने वाला था॥

शीतल, मंद और सुगंधित हवा बह रही थी। देवता हर्षित थे और संतों के मन में बड़ा चाव था। वन फल फूलों से लदे हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियाँ अमृत की धारा बहा रही थीं॥

*आज माँ के सिद्धिदात्री स्वरूप का नमन करते हुए मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के प्राकट्य दिवस रामनवमी की अनन्त शुभकामनाएँ।*

आएँ मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पवित्र भाव के साथ संकल्पित हों एवं कोरोना को हराने हेतु मर्यादा का पालन करें।

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Tuesday, March 31, 2020

चिंता

*चिन्ताज्वरो मनुष्याणां क्षुधां निद्रां बलं हरेत्।*
*रूपमुत्साहबुध्दिं श्रीं जीवितं च न संशयः॥*

The fever of worry snatches away hunger, sleep, strength, beauty, enthusiasm, mind, wealth and life itself - there is no doubt.

"चिंता" रूपी ज्वर (बुखार) मनुष्य की भूख, नींद, बल, सौंदर्य, उत्साह, बुद्धि, समृद्धि और जीवन तक को भी हर लेता है । इसमें कोई संदेह नहीं है।

चिंता से बचें।

*अष्टम नवरात्र पर माँ के महागौरी स्वरुप को नमन*

*एक कार्य बस एक कार्य,*
*घर से बाहर नहीं स्वीकार्य*

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Monday, March 30, 2020

परोपकार

*संत विटप सरिता, गिरि धरनी।*
*पर हित हेतु सबन्ह कै करनी।।*

परहित को अपनाने हेतु तुलसीदास जी प्रकृति के समस्त सोपानों का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि नदियाँ, पर्वत, पृथ्वी, वृक्ष एवं संत सदैव परोपकार में कर्मरत रहते हैं।

All the natural aspects like mountains, earth, rivers, trees along with noble persons do for others only.

*सप्तम नवरात्रि पर माँ के कालरात्रि स्वरूप को नमन*

*कोरोना को हराना है,*
*घर से कहीं न जाना है।*

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Sunday, March 29, 2020

श्रेष्ठ

*जिन्ह कै लहहिं न रिपु रन पीठी।* 
*नहिं पावहिं परतिय मनु डीठी॥*
*मंगन लहहिं न जिन्ह कै नाहीं।*
*ते नरबर थोरे जग माहीं॥*
रामचरितमानस : बालकाण्ड।

रण में शत्रु जिनकी पीठ नहीं देख पाते अर्थात्‌ जो लड़ाई के मैदान से भागते नहीं, परायी स्त्रियाँ जिनके मन और दृष्टि को नहीं खींच पातीं और जो किसी की सहायता मांगने पर पीछे नहीं हटते, ऐसे श्रेष्ठ पुरुष संसार में थोड़े हैं।

Who do not run away from the battleground, the other women can not touch and attract their minds, and who do not retreat when seeking help from someone, such great persons are  very few in the world.

*छठे नवरात्र पर माँ के कात्यायनी स्वरूप को नमन*

*घर से बाहर अभी न जाना,*
*घात लगा बैठा कोराना।*


शुभ दिन हो।

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Wednesday, March 18, 2020

परिणाम

*एकवापीभवं  तोयं   पात्रापात्र  विशेषतः।*
*आम्रे मधुरतामेति  निम्बे कटुकतामपि।।*

एक ही तालाब का जल, विशेषतः योग्य तथा अयोग्य प्राप्तकर्ताओं  के द्वारा प्रयुक्त हो कर ,अलग अलग परिणाम देता है। उदाहरण स्वरूप आम के वृक्ष को सिंचित करने  से उसके फलों में मिठास उत्पन्न होती है  परन्तु नीम के वृक्ष में कटुकता ही उत्पन्न होती है।

एक ही साधन का सज्जन व्यक्ति सदुपयोग करते हैं और दुर्जन दुरुपयोग करते हैं और उसके परिणाम भी तदनुसार अच्छे और बुरे होते हैं।

Water from the same pond used for irrigation purposes produces different results depending upon the  competence
or incompetence of the recipients, e.g while the Mango tree produces sweet fruits, all the products of Neem tree  are bitter in taste."

The competent persons put to good use the resources available to them and the same resources are misused by incompetent persons producing bad results.

शुभ दिन हो। 

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Sunday, March 8, 2020

होलिका दहन

*जलु पय सरिस बिकाइ, देखहु प्रीति की रीति भलि।*
*बिलग होइ रसु जाइ, कपट खटाई परत पुनि॥*

प्रीति की सुन्दर रीत देखिये कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान बिकता है, परन्तु कपट रूपी खटाई पड़ते ही जल अलग हो जाता है (दूध फट जाता है) एवं स्वाद (प्रेम) जाता रहता है।

Look at the beautiful way of Love that water is sold as milk while mixed with milk, but by citrus (deceit) milk and water separates and the taste (love) vanishes.

*परमात्मा के प्रति अटूट एवं गहन विश्वास के प्रतीक पर्व होलिका दहन की असीम शुभकामनाएँ।*

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