Monday, March 30, 2020

परोपकार

*संत विटप सरिता, गिरि धरनी।*
*पर हित हेतु सबन्ह कै करनी।।*

परहित को अपनाने हेतु तुलसीदास जी प्रकृति के समस्त सोपानों का उल्लेख करते हुए बताते हैं कि नदियाँ, पर्वत, पृथ्वी, वृक्ष एवं संत सदैव परोपकार में कर्मरत रहते हैं।

All the natural aspects like mountains, earth, rivers, trees along with noble persons do for others only.

*सप्तम नवरात्रि पर माँ के कालरात्रि स्वरूप को नमन*

*कोरोना को हराना है,*
*घर से कहीं न जाना है।*

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Sunday, March 29, 2020

श्रेष्ठ

*जिन्ह कै लहहिं न रिपु रन पीठी।* 
*नहिं पावहिं परतिय मनु डीठी॥*
*मंगन लहहिं न जिन्ह कै नाहीं।*
*ते नरबर थोरे जग माहीं॥*
रामचरितमानस : बालकाण्ड।

रण में शत्रु जिनकी पीठ नहीं देख पाते अर्थात्‌ जो लड़ाई के मैदान से भागते नहीं, परायी स्त्रियाँ जिनके मन और दृष्टि को नहीं खींच पातीं और जो किसी की सहायता मांगने पर पीछे नहीं हटते, ऐसे श्रेष्ठ पुरुष संसार में थोड़े हैं।

Who do not run away from the battleground, the other women can not touch and attract their minds, and who do not retreat when seeking help from someone, such great persons are  very few in the world.

*छठे नवरात्र पर माँ के कात्यायनी स्वरूप को नमन*

*घर से बाहर अभी न जाना,*
*घात लगा बैठा कोराना।*


शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Wednesday, March 18, 2020

परिणाम

*एकवापीभवं  तोयं   पात्रापात्र  विशेषतः।*
*आम्रे मधुरतामेति  निम्बे कटुकतामपि।।*

एक ही तालाब का जल, विशेषतः योग्य तथा अयोग्य प्राप्तकर्ताओं  के द्वारा प्रयुक्त हो कर ,अलग अलग परिणाम देता है। उदाहरण स्वरूप आम के वृक्ष को सिंचित करने  से उसके फलों में मिठास उत्पन्न होती है  परन्तु नीम के वृक्ष में कटुकता ही उत्पन्न होती है।

एक ही साधन का सज्जन व्यक्ति सदुपयोग करते हैं और दुर्जन दुरुपयोग करते हैं और उसके परिणाम भी तदनुसार अच्छे और बुरे होते हैं।

Water from the same pond used for irrigation purposes produces different results depending upon the  competence
or incompetence of the recipients, e.g while the Mango tree produces sweet fruits, all the products of Neem tree  are bitter in taste."

The competent persons put to good use the resources available to them and the same resources are misused by incompetent persons producing bad results.

शुभ दिन हो। 

💐🌹🌸🙏🏼

Sunday, March 8, 2020

होलिका दहन

*जलु पय सरिस बिकाइ, देखहु प्रीति की रीति भलि।*
*बिलग होइ रसु जाइ, कपट खटाई परत पुनि॥*

प्रीति की सुन्दर रीत देखिये कि जल भी दूध के साथ मिलकर दूध के समान बिकता है, परन्तु कपट रूपी खटाई पड़ते ही जल अलग हो जाता है (दूध फट जाता है) एवं स्वाद (प्रेम) जाता रहता है।

Look at the beautiful way of Love that water is sold as milk while mixed with milk, but by citrus (deceit) milk and water separates and the taste (love) vanishes.

*परमात्मा के प्रति अटूट एवं गहन विश्वास के प्रतीक पर्व होलिका दहन की असीम शुभकामनाएँ।*

🌺🌻💐🙏

Saturday, March 7, 2020

महिला दिवस

*यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः ।*
*यत्रैतास्तु न पूज्यन्ते सर्वास्तत्राफलाः क्रियाः ।।* 

*अर्थात-यत्र तु नार्यः पूज्यन्ते तत्र देवताः रमन्ते, यत्र तु एताः न पूज्यन्ते तत्र सर्वाः क्रियाः अफलाः (भवन्ति) ।*

अर्थ-जहाँ स्त्रियों की पूजा होती है वहाँ देवता निवास करते हैं और जहाँ स्त्रियों की पूजा नही होती है, उनका सम्मान नही होता है वहाँ किये गये समस्त अच्छे कर्म निष्फल हो जाते हैं।
👏💐महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं💐👏
*आचार्य राहुल*

Friday, March 6, 2020

प्रयत्न

*इह जगति हि न निरीहदेहिनं श्रियः संश्रयन्त।*

इस संसार में जो प्रयत्न नहीं करता है, कर्म नहीं करता है, उसे कभी सम्पन्नता नहीं मिलती है।

In this world one who does not put in effort (i.e. one who is inactive) does not acquire wealth.

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में लिखा है

_सकल पदारथ इह जग माहीं,_
_करमहीन नर पावत नाहीं।_

कर्म करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Thursday, March 5, 2020

जय श्री कृष्णा

*सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो  भ्राता दया सखा।*
*शान्तिः पत्नी क्षमा पुत्रः षडेते  मम बान्धवाः।।*

सत्यवादिता (सच बोलना) मेरी माता के समान है, ज्ञान मेरे पिता के समान है। धार्मिक आचरण मेरे भाई के समान है तथा दया की भावना मेरे मित्र के समान है। मानसिक शान्ति मेरी पत्नी के तुल्य है तथा क्षमा की भावना मेरे पुत्र के समान है। ये छ: मेरे बन्धु बान्धव हैं।

Truthfulness is like my mother and  higher Knowledge is like my father. Religious austerity is like my brother and mercy and compassion is like my friend. Peace of mind is like my wife and forgiveness is like my son. All these six persons are my close relatives and friends.

युधिष्ठिर के इस कथन के अनुसार हमें भी इन को अपना परिजन मानते हुए इनका भली भाँति ध्यान रखना चाहिए।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Friday, February 28, 2020

रंगभरी एकादशी

रामकृष्ण परमहंस की एक कहानी है । एक बार वे किसी नदी को पार कर रहे थे । " आह ! " एकाएक नाव के बीच बैठे बैठे वो कराहने लगे । दर्द से छटपटाने लगे । " मत मारो ! मत मारो ! " पीठ पर हाथ रखकर वो चीखते कराहते रहे। लोगो ने बाबा की पीठ उघाड़कर देखी तो लाल नीला चाबुक के निशान जैसा पड़ रहा था । साथ बैठे लोगों को कुछ समझ नही आया कि स्वामी जी को क्या हो रहा है । थोड़े समय बाद नाव उस पार पँहुची । सब क्या देखते है कि चुंगी वसूलने वाला गिरा कराह रहा है। सब दौड़कर पंहुचे तो उसने कराहते हुए बताया कि डकैत आए थे, सब पैसा लूट ले गए और खूब मारा भी । पीठ कमर पकड़कर वह रोने लगा । लोगो ने देखा कि उस चुंगी वाले बन्दे के पीठ कमर पर ठीक वन्ही निशान पड़ा है जन्हा स्वामी रामकृष्ण के पड़ रहे थे । 
प्रेम का एक शब्द है समानुभूति ' Empathy ' । लोक चलन में जो भौतिक प्रेम है उसका अधिकांश हिस्सा सहानुभूति ' Sympathy ' वाला है । सहानुभूति में प्रेम पनप ही नही सकता है । सहानुभूति हिंसा का ही एक आयाम है जिसमे ' I ' मैं तृप्त होता है । ' I ' तृप्त होकर ' You ' को ' Love ' का दान करता है । और एक कृत्रिम वाक्य बनता है I Love You और उसमें दो ' द्वैत ' सत्ता एक दूसरे पर अपने अपने मैं ' I ' को लेकर  ' You ' पर शाषन करने की , Posses करने की कोशिश में लगे रहते है । लेन देन के इस छिछले स्तर से लेकर द्वैत के सबीज समाधि तक । माने लेन-देन वाला ये जो प्रेम है .. ये वैलेंटाइन वाला घुमउवल- फिरौवल, माथा फोडउवल सिस्टम तक विस्तार पाता है । और द्वैत माने यँहा यह है कि सब जुड़ाव के बावजूद पुरुष स्त्री प्रेम के बाद भी अलग अलग ही रह जाते है । ठीक जैसे सबीज समाधि के स्तर पर पँहुचने पर भी योगी के अंदर उसके नाम लिंग आयु आदि का पहचान जुड़ाव स्मृति शेष रह ही जाता है । बाकी सिम्पैथी के पार प्रेम के आध्यात्म का शब्द है ' इम्पैथी ' समानुभूति । समानुभूति में दो का अस्तित्व नही रहता है । सब एक हो जाता है । पुरुष प्रकति एक । लड़का लड़की एक । पति पत्नी एक । शिव शक्ति एक। और इस अघोर आध्यात्मिक बात को कोई मिराबाई , कोई रूमी समझाते रहे है । कोई रामकृष्ण परमहंस 50 मीटर दूर चोट खा रहे आदमी की चोट को अपनी भी पीठ पर लेकर दिखाते रहे है । 
बाकी अपना बनारस ई सब अनायास अघोर अलख़ होकर करता रहा है । शिव पार्वती के परिवार में वो विलयता दर्शन करने योग्य बात है । अर्धनारीश्वर स्वरूप को देखिए और  शिवलिंग के विज्ञान का व्यावहारिक रूप व्यवहार में लाइये। इस तस्वीर में बाबा कँहा है ? भक्त कँहा हैं ? ई रँग ई तेवर ई आध्यात्म का विज्ञान फ्री फंड में कँहा बंटता होगा ? लाली तेरे लाल की जित देखूं तित लाल , लाल्ली देखन मैं गयी मैं भी हो गयी लाल ।।  ' सा !कासी केन मियते ?'  सब एकरँग एकरूप हो गए है । आज देवताओं की होली का दिन है । रंगभरी एकादशी की शुभकामनाए । हर हर महादेव! 

Wednesday, February 26, 2020

कर्तव्य का पालन

*यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्मा सनातनम्।*
*नायं लोकोऽस्त्ययज्ञस्य कुतोऽन्य: कुरुसत्तम।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३१।

अपने अभीष्ट कर्तव्यों के पालन से प्राप्त अमृत का अनुभव करने वाले योगी जन सनातन परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं। 
और कर्तव्यों का निर्वहन न करने वाले पुरुष के लिये तो यह मनुष्य लोक भी सुखदायक नहीं हैं, फिर परलोक कैसे सुखदायक हो सकता है?

The person who enjoy the nectar of performing his due duties well attains the eternal Brahma.
But the man who does not do his duties well, how can he be happy even in this world or the other world.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Monday, February 24, 2020

धैर्यवान

*ऐश्वर्येऽपि क्षमा यस्य दारिद्र्येऽपि हितैषिता।*
*आपत्तावपि  धीरत्वं  दधतो  मर्त्यता कथं।।*

जो व्यक्ति ऐश्वर्यवान होते हुए भी क्षमाशील होते हैं, दरिद्र होते हुए भी अन्य व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं, तथा विपत्ति आने पर भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं तो वे भला मृत्यु से क्यों भयभीत होंगे?

Those persons who in spite of being powerful and prosperous are also forgiving in nature, in spite of being poor are always ready to help others, and remain courageous and firm even while facing a calamity, why will they be afraid of their mortality?

क्षमाशील व धैर्यवान बनें और दूसरों की सहायता करें।

शुभ दिन हो।

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