Friday, March 6, 2020

प्रयत्न

*इह जगति हि न निरीहदेहिनं श्रियः संश्रयन्त।*

इस संसार में जो प्रयत्न नहीं करता है, कर्म नहीं करता है, उसे कभी सम्पन्नता नहीं मिलती है।

In this world one who does not put in effort (i.e. one who is inactive) does not acquire wealth.

गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी रामचरितमानस में लिखा है

_सकल पदारथ इह जग माहीं,_
_करमहीन नर पावत नाहीं।_

कर्म करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Thursday, March 5, 2020

जय श्री कृष्णा

*सत्यं माता पिता ज्ञानं धर्मो  भ्राता दया सखा।*
*शान्तिः पत्नी क्षमा पुत्रः षडेते  मम बान्धवाः।।*

सत्यवादिता (सच बोलना) मेरी माता के समान है, ज्ञान मेरे पिता के समान है। धार्मिक आचरण मेरे भाई के समान है तथा दया की भावना मेरे मित्र के समान है। मानसिक शान्ति मेरी पत्नी के तुल्य है तथा क्षमा की भावना मेरे पुत्र के समान है। ये छ: मेरे बन्धु बान्धव हैं।

Truthfulness is like my mother and  higher Knowledge is like my father. Religious austerity is like my brother and mercy and compassion is like my friend. Peace of mind is like my wife and forgiveness is like my son. All these six persons are my close relatives and friends.

युधिष्ठिर के इस कथन के अनुसार हमें भी इन को अपना परिजन मानते हुए इनका भली भाँति ध्यान रखना चाहिए।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Friday, February 28, 2020

रंगभरी एकादशी

रामकृष्ण परमहंस की एक कहानी है । एक बार वे किसी नदी को पार कर रहे थे । " आह ! " एकाएक नाव के बीच बैठे बैठे वो कराहने लगे । दर्द से छटपटाने लगे । " मत मारो ! मत मारो ! " पीठ पर हाथ रखकर वो चीखते कराहते रहे। लोगो ने बाबा की पीठ उघाड़कर देखी तो लाल नीला चाबुक के निशान जैसा पड़ रहा था । साथ बैठे लोगों को कुछ समझ नही आया कि स्वामी जी को क्या हो रहा है । थोड़े समय बाद नाव उस पार पँहुची । सब क्या देखते है कि चुंगी वसूलने वाला गिरा कराह रहा है। सब दौड़कर पंहुचे तो उसने कराहते हुए बताया कि डकैत आए थे, सब पैसा लूट ले गए और खूब मारा भी । पीठ कमर पकड़कर वह रोने लगा । लोगो ने देखा कि उस चुंगी वाले बन्दे के पीठ कमर पर ठीक वन्ही निशान पड़ा है जन्हा स्वामी रामकृष्ण के पड़ रहे थे । 
प्रेम का एक शब्द है समानुभूति ' Empathy ' । लोक चलन में जो भौतिक प्रेम है उसका अधिकांश हिस्सा सहानुभूति ' Sympathy ' वाला है । सहानुभूति में प्रेम पनप ही नही सकता है । सहानुभूति हिंसा का ही एक आयाम है जिसमे ' I ' मैं तृप्त होता है । ' I ' तृप्त होकर ' You ' को ' Love ' का दान करता है । और एक कृत्रिम वाक्य बनता है I Love You और उसमें दो ' द्वैत ' सत्ता एक दूसरे पर अपने अपने मैं ' I ' को लेकर  ' You ' पर शाषन करने की , Posses करने की कोशिश में लगे रहते है । लेन देन के इस छिछले स्तर से लेकर द्वैत के सबीज समाधि तक । माने लेन-देन वाला ये जो प्रेम है .. ये वैलेंटाइन वाला घुमउवल- फिरौवल, माथा फोडउवल सिस्टम तक विस्तार पाता है । और द्वैत माने यँहा यह है कि सब जुड़ाव के बावजूद पुरुष स्त्री प्रेम के बाद भी अलग अलग ही रह जाते है । ठीक जैसे सबीज समाधि के स्तर पर पँहुचने पर भी योगी के अंदर उसके नाम लिंग आयु आदि का पहचान जुड़ाव स्मृति शेष रह ही जाता है । बाकी सिम्पैथी के पार प्रेम के आध्यात्म का शब्द है ' इम्पैथी ' समानुभूति । समानुभूति में दो का अस्तित्व नही रहता है । सब एक हो जाता है । पुरुष प्रकति एक । लड़का लड़की एक । पति पत्नी एक । शिव शक्ति एक। और इस अघोर आध्यात्मिक बात को कोई मिराबाई , कोई रूमी समझाते रहे है । कोई रामकृष्ण परमहंस 50 मीटर दूर चोट खा रहे आदमी की चोट को अपनी भी पीठ पर लेकर दिखाते रहे है । 
बाकी अपना बनारस ई सब अनायास अघोर अलख़ होकर करता रहा है । शिव पार्वती के परिवार में वो विलयता दर्शन करने योग्य बात है । अर्धनारीश्वर स्वरूप को देखिए और  शिवलिंग के विज्ञान का व्यावहारिक रूप व्यवहार में लाइये। इस तस्वीर में बाबा कँहा है ? भक्त कँहा हैं ? ई रँग ई तेवर ई आध्यात्म का विज्ञान फ्री फंड में कँहा बंटता होगा ? लाली तेरे लाल की जित देखूं तित लाल , लाल्ली देखन मैं गयी मैं भी हो गयी लाल ।।  ' सा !कासी केन मियते ?'  सब एकरँग एकरूप हो गए है । आज देवताओं की होली का दिन है । रंगभरी एकादशी की शुभकामनाए । हर हर महादेव! 

Wednesday, February 26, 2020

कर्तव्य का पालन

*यज्ञशिष्टामृतभुजो यान्ति ब्रह्मा सनातनम्।*
*नायं लोकोऽस्त्ययज्ञस्य कुतोऽन्य: कुरुसत्तम।।*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ३१।

अपने अभीष्ट कर्तव्यों के पालन से प्राप्त अमृत का अनुभव करने वाले योगी जन सनातन परब्रह्म परमात्मा को प्राप्त होते हैं। 
और कर्तव्यों का निर्वहन न करने वाले पुरुष के लिये तो यह मनुष्य लोक भी सुखदायक नहीं हैं, फिर परलोक कैसे सुखदायक हो सकता है?

The person who enjoy the nectar of performing his due duties well attains the eternal Brahma.
But the man who does not do his duties well, how can he be happy even in this world or the other world.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Monday, February 24, 2020

धैर्यवान

*ऐश्वर्येऽपि क्षमा यस्य दारिद्र्येऽपि हितैषिता।*
*आपत्तावपि  धीरत्वं  दधतो  मर्त्यता कथं।।*

जो व्यक्ति ऐश्वर्यवान होते हुए भी क्षमाशील होते हैं, दरिद्र होते हुए भी अन्य व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं, तथा विपत्ति आने पर भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं तो वे भला मृत्यु से क्यों भयभीत होंगे?

Those persons who in spite of being powerful and prosperous are also forgiving in nature, in spite of being poor are always ready to help others, and remain courageous and firm even while facing a calamity, why will they be afraid of their mortality?

क्षमाशील व धैर्यवान बनें और दूसरों की सहायता करें।

शुभ दिन हो।

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Sunday, February 23, 2020

गुण

*न हि जन्मनि ज्येष्ठत्वं गुणैर्ज्येष्ठत्वमुच्यते।*
*गुणाद् गुरूत्वमायाति दुग्धं दधि घृतं यथा॥*

श्रेष्ठता जन्म से नहीं आती वरन गुणों के कारण होती है। दही, दूध, घी; ये सब एक ही कुल के हैं, तथापि सब के मूल्य अलग अलग होते है।

Superiority does not come from birth but because of the qualities. Curd, Milk, Ghee; these are all of the same lineage, however the value of each is different.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Saturday, February 22, 2020

प्रीती

*रहिमन प्रीति सराहिए, मिले होत रंग दून।*
*ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सपेदी चून।।*

हल्दी और चूना एक दूसरे से मिलते हैं तो हल्दी अपनी पीतिमा और चूना अपनी श्वेतमा एक दूसरे को अर्पित कर देते हैं और रोचना बन जाते हैं जो एक विशिष्ट रंग धर कर सुशोभित होता है।

अपना अपना अहम् छोड़ एक दूसरे में मिल जाएं, ऐसी प्रीति ही प्रशंसनीय है।

Turmeric and lime while meet with each other, leave their own colors and become a distinctive adorable color.

We should leave our own egos in one another, such love is commendable.

शुभ दिन हो।

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Thursday, February 20, 2020

हर हर महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को हम जैसे मूढ़ भी आसानी से समझ कर उस परम पिता परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राष्टकम् का प्रथम श्लोक :

*नमामि ईशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌।*
*निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशम् आकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥*

हे मोक्ष स्वरुप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेद स्वरुप, ईशों के ईश्वर सब के स्वामी, मैं आपको नमन करता हूँ। 
हे निजस्वरूप में स्थित अर्थात माया से रहित, गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन आकाश एवं आकाश को ही वस्त्र के रूप में धारण करने वाले दिगंबर अर्थात आकाश को भी आच्छादित करने वाले ईश्वर मैं आपको नमन करता हूँ।

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव एवं सती के महामिलन के पर्व महाशिवरात्रि की कोटि कोटि शुभकामनाएँ।*

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Wednesday, February 19, 2020

जीवन अमूल्य है

*पुनर्वित्तं   पुनर्मित्रं   पुनर्भार्या   पुनर्मही।*
*एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः॥*

One can get wealth back, all his assets back, friends and wife back, and lost power back. But no one can get the life back once it is gone.

राज मित्र धन संपदा, परिजन अरु परिवार।
खोवे तो पुनि मिल सके, हमको बारम्बार।।

किन्तु तन से प्राण प्रभो, निकसे जो इक बार।
लौट सके न कबहु पुनि, पुनि पुनि करो विचार।।

जीवन अमूल्य है, जी भर जिएँ।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, February 18, 2020

ईश्वर का स्मरण

*तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज।*
*भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज॥*

भूमि में बोये बीज उल्टे पड़े हों या सीधे फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है।
इसी प्रकार ईश्वर का स्मरण अथवा सुमिरन कैसे भी अर्थात् मन से अथवा बिना मन से किया जाये उसका फल अवश्य ही मिलता है।

ईश्वर का सदैव स्मरण करें।

The seeds sown in the field grow and become crop irrespective of their position. 
Similarly, if we pray God in any condition, it will create blessings for us.

Pray in all condition.

शुभ दिन हो।

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