Saturday, February 22, 2020

प्रीती

*रहिमन प्रीति सराहिए, मिले होत रंग दून।*
*ज्यों जरदी हरदी तजै, तजै सपेदी चून।।*

हल्दी और चूना एक दूसरे से मिलते हैं तो हल्दी अपनी पीतिमा और चूना अपनी श्वेतमा एक दूसरे को अर्पित कर देते हैं और रोचना बन जाते हैं जो एक विशिष्ट रंग धर कर सुशोभित होता है।

अपना अपना अहम् छोड़ एक दूसरे में मिल जाएं, ऐसी प्रीति ही प्रशंसनीय है।

Turmeric and lime while meet with each other, leave their own colors and become a distinctive adorable color.

We should leave our own egos in one another, such love is commendable.

शुभ दिन हो।

🌹🌺💐🙏🏻

Thursday, February 20, 2020

हर हर महादेव

साकार व निराकार परमात्मा के द्वंद्व को ध्यान में रखते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस के अंतिम काण्ड उत्तरकाण्ड में (आठ श्लोक के रुद्राष्टकम् स्तोत्र में) परम शिव की स्तुति करते हुए ईश्वर का जो व्याख्यान किया है उससे साकार व निराकार के द्वंद्व को हम जैसे मूढ़ भी आसानी से समझ कर उस परम पिता परमेश्वर का ज्ञान प्राप्त कर सकते हैं।

रुद्राष्टकम् का प्रथम श्लोक :

*नमामि ईशमीशान निर्वाण रूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदः स्वरूपम्‌।*
*निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशम् आकाशवासं भजेऽहम्‌ ॥*

हे मोक्ष स्वरुप, विभु, व्यापक, ब्रह्म और वेद स्वरुप, ईशों के ईश्वर सब के स्वामी, मैं आपको नमन करता हूँ। 
हे निजस्वरूप में स्थित अर्थात माया से रहित, गुणों से रहित, भेद रहित, इच्छा रहित, चेतन आकाश एवं आकाश को ही वस्त्र के रूप में धारण करने वाले दिगंबर अर्थात आकाश को भी आच्छादित करने वाले ईश्वर मैं आपको नमन करता हूँ।

महाशिवरात्रि के इस पावन पर्व पर आएँ हम उस निराकार परमात्मा के साकार शिव रूप का ध्यान एवं स्तुति करें।

*शिव एवं सती के महामिलन के पर्व महाशिवरात्रि की कोटि कोटि शुभकामनाएँ।*

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Wednesday, February 19, 2020

जीवन अमूल्य है

*पुनर्वित्तं   पुनर्मित्रं   पुनर्भार्या   पुनर्मही।*
*एतत्सर्वं पुनर्लभ्यं न शरीरं पुनः पुनः॥*

One can get wealth back, all his assets back, friends and wife back, and lost power back. But no one can get the life back once it is gone.

राज मित्र धन संपदा, परिजन अरु परिवार।
खोवे तो पुनि मिल सके, हमको बारम्बार।।

किन्तु तन से प्राण प्रभो, निकसे जो इक बार।
लौट सके न कबहु पुनि, पुनि पुनि करो विचार।।

जीवन अमूल्य है, जी भर जिएँ।

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏼

Tuesday, February 18, 2020

ईश्वर का स्मरण

*तुलसी मेरे राम को रीझ भजो या खीज।*
*भौम पड़ा जामे सभी उल्टा सीधा बीज॥*

भूमि में बोये बीज उल्टे पड़े हों या सीधे फिर भी कालांतर में फसल बन जाती है।
इसी प्रकार ईश्वर का स्मरण अथवा सुमिरन कैसे भी अर्थात् मन से अथवा बिना मन से किया जाये उसका फल अवश्य ही मिलता है।

ईश्वर का सदैव स्मरण करें।

The seeds sown in the field grow and become crop irrespective of their position. 
Similarly, if we pray God in any condition, it will create blessings for us.

Pray in all condition.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Monday, February 17, 2020

निर्भय

*तावत् भयस्य भेतव्यं*
      *यावत् भयं न आगतम्,*
*आगतं हि भयं वीक्ष्य*  
       *प्रहर्तव्यं अशंकया।।*

भय से तब तक ही डरना चाहिए जब तक भय निकट न आया हो। भय को निकट देखकर बिना शंका के उस पर प्रहार कर उसे नष्ट कर देना चाहिए।
अर्थात भय से सदा दूर रहें।

Fear should always be kept away, if it comes near, it should be wiped off undoubtedly.
Be fearless.

निर्भय बनें।

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Sunday, February 16, 2020

परमशक्ति

*यो मां पश्यति सर्वत्र सर्वं च मयि पश्यति।*
*तस्याहं न प्रणश्यामि स च में न प्रणश्यति।।*
गीता : अध्याय ६, श्लोक ३०।

भगवान श्रीकृष्ण गीता में  कहते हैं कि जो सम्पूर्ण भूतों में अर्थात् सर्वत्र एवं सबके आत्म रूप मुझ वासुदेव को ही अर्थात परमात्मा को देखता है एवं परमात्मा के अन्तर्गत देखता है, उसके लिये मैं अदृश्य नहीं होता और वह मेरे लिए अदृश्य नहीं होता। अर्थात स्वयं परमात्मा उनका ध्यान रखते हैं।

He who sees Me (the universal self) present in all beings, and all beings existing within Me, never loses sight of Me, and I never lose sight of him.

सर्वत्र परमशक्ति को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Saturday, February 15, 2020

कर्म

*ईश्वरः सर्वभूतानां हृद्देशेऽर्जुन तिष्ठति।*
*भ्रामयन्सर्वभूतानि यन्त्रारुढानि मायया॥*
गीता : अध्याय १८, श्लोक ६१।

हमारे कर्मों के अनुरूप ईश्वर हमारे हृदय में अवस्थित हो कर हमारे शरीर रुपी यन्त्र को अपनी माया के माध्यम से चलाते रहते हैं।

The Omni dwells in our hearts and revolve our machine (body with the senses) according to our deeds by his allure.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Thursday, February 13, 2020

अभ्यास

*जलबिन्दुनिपातेन क्रमश: पूर्यते घट:।* 
*स हेतु: सर्वविद्यानां धर्मस्य च धनस्य च॥*

पानी की एक एक बूंद भी निरंतर गिरने से घड़ा भर जाता है, उसी प्रकार धीरे धीरे अभ्यास करने से सब विद्याओं की प्राप्ति हो जाती है, एवम् थोड़ा थोड़ा करके ही धर्म और धन का संचय भी हो जाता है।

A pot is filled by tiny drops of water pouring regularly in it.
Similarly, regular little efforts make a person learned, wealthy and blissful.

निरंतर प्रयास करें।

शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼

Wednesday, February 12, 2020

गुणवान

*पात्रविशेषे न्यस्तं गुणान्तरं व्रजति  शिल्पमाधातुः।*
*जलमिव समुद्रशुक्तौ मुक्ताफलतां  पयोदस्य।।*

वर्षा की बूंदें जब समुद्र में उत्पन्न सीपियों के अन्दर विशेष परिस्थिति में प्रवेश करती हैं तो कालान्तर में वह मोती बन जाती हैं। इसी प्रकार गुण ग्रहण करने की विशेष क्षमता वाले सामान्य व्यक्ति जब गुणी व्यक्तियों के संपर्क में आते हैं तो वे भी गुणवान हो जाते हैं।

When rain drops enter inside ordinary sea shells during a particular auspicious time, they become pearl bearing shells.
Similarly, a complete change in the merits can occur in only those persons who are endowed with special qualities of acquiring virtues by coming in contact with virtuous and knowledgeable persons.

गुणीजनों का सानिध्य करें।

शुभ दिन हो।

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Tuesday, February 11, 2020

मंत्रणा

*यस्य कृत्यं न जानन्ति मन्त्रं  वा मन्त्रितं परे।*
*कृतमेवास्य जानन्ति स वै पण्डित उच्यते।।*

जिस व्यक्ति द्वारा भविष्य में किये जाने वाले कार्यों के बारे में मन्त्रणा (विचार) करने, निश्चय करने तथा उसके पश्चात क्रियान्वयन होने तक अन्य व्यक्ति कुछ भी नहीं जानते हैं, वही एक पण्डित कहलाता है।

A person, whose actions about a project undertaken by him are not known to others  during  the stages of  consultations, finalization, and implementation, and it is known only when it is completed, is truly called a learned person.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻