Thursday, December 12, 2019

क्रोध व लोभ

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

क्रोध, लोभ से बचें।

शुभ दिन हो।

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Wednesday, December 11, 2019

अविश्वास

*अतिदाक्षिण्य युक्तानां शङ्कितानि पदे पदे।*
*परापवादिभीरूणां न भवन्ति विभूतियः।।*

In the pursuit for perfection if a highly skilled and learned person remains doubtful in nature, does not believe on others and is afraid of criticism and blame, he can never become a great person.

सर्वोत्तम बनने की चाह में बात बात पर शंका करना तथा दूसरों पर अविश्वास करना ऐसा दुर्गुण हैं जो दक्ष और विद्वान् होने पर भी किसी व्यक्ति को एक महान् व्यक्ति नहीं होने देता है।

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Tuesday, December 10, 2019

विचारो के प्रकार

*पिण्डे पिण्डे मतिर्भिन्ना कुण्डे कुण्डे नवं पयः।*
*जातौ जातौ नवाचाराः नव वानी मुखे मुखे॥*

Every body is Unique. No two people have the same mind. Water from no two ponds taste alike. No two cultures have same customs. No two people speak (accent) alike. 
Once we realise this, we shall be more tolerable to opinions that differ from us.

प्रत्येक व्यक्ति विशेष है। कोई दो व्यक्तियों के मन एक समान नहीं होते है। दो तालाबों के पानी का स्वाद एक जैसा नहीं होता। दो संस्कृतियों के रीति रिवाज एक जैसे नहीं होते हैं।
दो व्यक्तियों का उच्चारण / बोलना एक जैसा नहीं होता है।

हम जब इस सत्य को समझ जाते हैं तो अपने से भिन्न विचारों के प्रति ज्यादा सहनशील हो जाते है।

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Monday, December 9, 2019

कार्य

*अकर्तव्यं न कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।*
*कर्तव्यमेव कर्तव्यं प्राणैः कण्ठगतैरपि।।*

जो कार्य निषिद्ध या न करने के योग्य हों उन्हें प्राण कंठगत होने पर भी (मृत्यु का आसन्न संकट होने पर भी) नहीं करना चाहिये। इस के विपरीत जो कार्य करना अपना कर्तव्य हो उसे अपने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए भी अवश्य करना चाहिये।

One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life. On the other hand one should perform his duty even at the cost of his life.

शुभ दिन हो।

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Sunday, December 8, 2019

नियंत्रण

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों ) पर किसी प्रकार का  नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों ) में महान वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

शुभ दिन हो।

🌸💐🌹🙏🏼

Saturday, December 7, 2019

जीवन का सार

*धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।*
*मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥*
(गीता १/१)

युद्ध के मैदान में मोहग्रस्त अर्जुन को जीवन का सार समझाते हुए परम योगीश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता का ज्ञान दिया था।
 
सम्पूर्ण गीता का सार एवं जीवन जीने का सूत्र, जो इसके प्रथम श्लोक के पहले दो शब्दों *धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे* में ही समाहित है,

*क्षेत्रे क्षेत्रे धर्म कुरु*

अर्थात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के अनुसार आचरण करें।

We should do all our deeds righteously according to our duty in all the fields of our life.

(यद्यपि श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा संजय से युद्ध क्षेत्र के क्रिया कलापों को जानने हेतु किया गया प्रश्न है।)

आज गीता जयंती पर आएँ हम सभी इसी सार को अपने जीवन एवं अपने आचरण में धारण करें।

सादर,

*मोक्षदा एकादशी की शुभकामनाएँ।*

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Friday, December 6, 2019

परमात्मा

*करोषीव न कर्ता त्वं गच्छसीव न गच्छसि।*
*श्रृणोषि न श्रृणोषीव पश्यसीव न पश्यसि॥*
अध्यात्म रामायण : बालकाण्ड : तृतीय सर्ग श्लोक २३।

परमसत्ता के परम रूपः का वर्णन करते हुए कहा :
हे प्रभु! आप कर्ता नहीं हैं, फिर भी करते हुए प्रतीत होते हैं। चलते नहीं हैं, फिर भी चलते से मालूम होते हैं। न सुनते हुए भी सुनते से दिखाई देते हैं। और न देखते हुए भी देखते हुए जान पड़ते हैं।  

इसी परम रूप का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है:

*बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।* *कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥*
*आनन रहित सकल रस भोगी।* *बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥*

The Almighty is not a doer, yet seem to be doing. Don't walk, but appear to be walking.  Don't listen, but look to be listening. And appear to be watching, despite not watching actually.

परमात्मा को पहचानें।

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Thursday, December 5, 2019

कपट

*कपटेन पुनर्नैव व्यापारो यदि वा कृतः।*
*पुनर्न परिपाकोर्हा हन्डिका काष्टनिर्मिता।।*

यदि कपट पूर्वक (धोखा दे कर) किसी व्यक्ति से कोई व्यापार करने के बाद वही व्यापार उस से पुनः किया जाता है तो वह उसी प्रकार संपन्न नहीं हो सकता है जिस प्रकार लकड़ी से बनी हुई हांडी चूल्हे पर दूसरी बार नहीं चढ़ सकती है।

(इसी भावना को कवि रहीम ने इस प्रकार व्यक्त किया है  - 
फेर न ह्वैहैं कपट सों, जो कीजै ब्यौपार।
रहिमन हांडी काठ की, चढै न दूजी बार॥)
       
Any business is done with someone with deceit or trickery, and if the same business is again done with him, it does not materialise next time, just like a pot made of wood can not be used again for the second time for cooking.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, December 4, 2019

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 3, 2019

बुद्धिमत्ता

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

शुभ दिन हो।

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