Friday, September 27, 2019

प्रणाम

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🙏🙏🙏🙏

No comments: