Friday, September 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और बालू (को पेरने) से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from sand, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Thursday, September 10, 2020

महापुरुषों का साथ

*महाजनस्य संसर्गः, कस्य नोन्नतिकारकः।*
*पद्मपत्रस्थितं तोयम्, धत्ते मुक्ताफलश्रियम् ॥*

महापुरुषों का सामीप्य किसके लिए लाभदायक नहीं होता?
कमल के पत्ते पर पड़ी हुई पानी की बूँद भी मोती जैसी शोभा प्राप्त कर लेती है।

For whom is the company of great people not beneficial? Even a water droplet when on lotus petal, shines like a pearl.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏

निकटता

*माभूत्सज्जनयोगो  यदि  योगो मा पुनः स्नेहो,*
*स्नेहो यदि विरहो मा यदि विरहो जीविता आशा का।*

सज्जन व्यक्तियों से अति निकटता मत करो, और उनसे स्नेह होने पर सम्बन्ध विच्छेद न करो, क्योंकि यदि ऐसा हो जाए तो फिर जीवित रहने की आशा करना व्यर्थ है।

दुष्ट और सज्जन व्यक्तियों की तुलना करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी कहा है कि -
*मिलत एक दारुण दुःख देहीं।*
 *विछुरत एक प्राण हर लेहीं।*

One should not have close association with noble and righteous persons, and if perchance this happens do not develop affection with them.  However, if love and affection is developed, it should be ensured that there is no parting away or separation, because then what is the use of remaining alive.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Tuesday, September 8, 2020

दान

*उपर्जितानां वित्तानां त्याग एव हि रक्षणम्।*
*तडगोदरसंस्थानां परिवाह इवाम्भसाम्॥*

जैसे तालाब में भरे हुए जल को निकालते रहने से उसकी पवित्रता और शुद्धता बनी रहती है। उसी प्रकार उपार्जित धन को व्यय कर देना (दान अथवा भोग) ही उसकी रक्षा का एकमात्र उपाय है।

The water of a pond remains pure while being fetched regularly, likewise the money earned can be saved by donation or consumption only.

*धन का जब उपभोग करें,*
*सोचें समझें उपयोग करें।*


शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼

Monday, September 7, 2020

गुण अवगुण

*भलेउ पोच सब बिधि उपजाये।*
*गनि गुन दोष बेद बिलगाये॥*
*कहहिं बेद इतिहास पुराना।*
*बिधि प्रपंचु गुन अवगुन साना॥*
रामचरित मानस : बालकाण्ड।

भला अथवा बुरा, सभी प्रकृति जनित हैं, किन्तु गुण और दोषों को विचार कर वेदों ने उनको अलग-अलग कर दिया है। वेद, इतिहास और पुराण कहते हैं कि यह सृष्टि गुण एवं अवगुण दोनों से भरी हुई है॥

All the Good and Evil is created by spreme power Nature and can be distinguished by their characteristics. It is well known truth that this world is full of Good and Bad both.

तुलसीदास जी ने आगे की चौपाइयों में अच्छे एवं बुरे के कई उदाहरण देते हुए इस कथन की पुष्टि की है।

दुख सुख पाप पुन्य दिन राती।
साधु असाधु सुजाति कुजाती।।
दानव देव ऊँच अरु नीचू। 
अमिअ सुजीवनु माहुरु मीचू।।
माया ब्रह्म जीव जगदीसा।
लच्छि अलच्छि रंक अवनीसा।।
कासी मग सुरसरि क्रमनासा।
मरु मारव महिदेव गवासा।।
सरग नरक अनुराग बिरागा।
निगमागम गुन दोष बिभागा।।

*ज्यों काँटों की चुभन मिली, फूलों की मुस्कान को,*
*भला बुरा दोनों है जग में, मानें परम विधान को,*
*भेद करें हम, भले बुरे में, समझें निज कल्याण को,*
*है आवश्यक सामंजस्य, जीवन में उत्थान को।*

शुभ दिन हो।

🌸🌺🌹🙏🏻

Sunday, September 6, 2020

क्रोध एवम लोभ

*क्रोधः सुदुर्जयः शत्रुः लोभो व्याधिरनन्तकः।।*

मनुष्य के स्वभाव में क्रोध एक ऐसे शत्रु के समान है जिस पर विजय प्राप्त करना बहुत कठिन होता है, तथा लोभ एक कभी दूर न होने वाली बीमारी के समान होता है।

Anger in a person is like an enemy very difficult to conquer or overcome, and greed is like an endless disease.

*क्रोध लोभ से बचना है,*
*सदा सुखी तब रहना है।*

शुभ दिन हो।

💐🌸🌹🙏🏼

Friday, September 4, 2020

धर्म

*राम बिमुख संपति प्रभुताई।*
*जाइ रही पाई बिनु पाई॥*
*सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं।*
*बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने अधर्म से प्राप्त ऐश्वर्य की भर्त्सना करते हुए लिखा है कि बिना धर्म की संपत्ति और प्रभुता रही हुई भी चली जाती है और उसका पाना, न पाने के सामान है। जिस प्रकार जिन नदियों के मूल में कोई जलस्रोत नहीं है, अर्थात्‌ जिन्हें केवल बरसात ही आसरा है, वे वर्षा बीत जाने पर तुरंत ही सूख जाती हैं।

The rivers which have not any source and depend for water on rain, dry up immediately after the rain is over. Similarly wealth obtained by incorrect and unethical means vanishes soon.

शुभ दिन हो।

🌺🌻💐🙏

पाण्डित्य

*यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति, शीतम् उष्णं भयं रतिः।* *समृद्धि: असमृद्धि: वा, स वै पण्डित उच्यते॥*

महाभारत : उद्योग पर्व।

महात्मा विदुर बताते हैं कि
जिसके किसी भी कार्य करने में शीत-उष्ण, (मौसम) सम्पन्नता-विपन्नता, भय-प्रेम आदि परिस्थितियाँ विघ्न उपस्थित नहीं करती हैं, वही पण्डित कहलाता है।

Whose actons/ deeds are not affected by  cold-hot (weather), prosperity-misfortune, fear-love etc. like circumstances, he is called a wise person.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏻

Wednesday, September 2, 2020

फल

*तस्मात् असक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार।*
*असक्त: अाचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुष:।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक १९।

ज्ञानी पुरुष के समान फल की अपेक्षा नहीं रखते हुए, फल की आ‍सक्ति छोड़ कर अपना कर्त्तव्‍य कर्म सदैव करें; क्‍योंकि आ‍सक्ति छोड़ कर कर्म करने वाले मनुष्‍य को परमगति प्राप्‍त होती है।

By efficiently doing his duties without attachment or doing work without attachment, a man attains the supreme.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, September 1, 2020

स्नेहाशीष

*यन्मातापितरौ क्लेशं सहेते संभवे नृणाम्।*
*न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।।*
                                  
अपनी संतान के लालन पालन में माता और पिता जो क्लेश (समस्याएं और कष्ट) सहन करते हैं उसका प्रत्युपकार उनकी संतान के द्वारा सौ वर्षों तक उनकी सेवा करने से भी संभव नहीं है।

The troubles which parents face while upbringing their children can not be recompensed by their children even by taking care of their parents for one hundred years.

आज से प्रारम्भ श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों का स्नेहाशीष अधिकाधिक अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼