Friday, September 4, 2020

धर्म

*राम बिमुख संपति प्रभुताई।*
*जाइ रही पाई बिनु पाई॥*
*सजल मूल जिन्ह सरितन्ह नाहीं।*
*बरषि गएँ पुनि तबहिं सुखाहीं।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

गोस्वामी तुलसीदास जी ने अधर्म से प्राप्त ऐश्वर्य की भर्त्सना करते हुए लिखा है कि बिना धर्म की संपत्ति और प्रभुता रही हुई भी चली जाती है और उसका पाना, न पाने के सामान है। जिस प्रकार जिन नदियों के मूल में कोई जलस्रोत नहीं है, अर्थात्‌ जिन्हें केवल बरसात ही आसरा है, वे वर्षा बीत जाने पर तुरंत ही सूख जाती हैं।

The rivers which have not any source and depend for water on rain, dry up immediately after the rain is over. Similarly wealth obtained by incorrect and unethical means vanishes soon.

शुभ दिन हो।

🌺🌻💐🙏

पाण्डित्य

*यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति, शीतम् उष्णं भयं रतिः।* *समृद्धि: असमृद्धि: वा, स वै पण्डित उच्यते॥*

महाभारत : उद्योग पर्व।

महात्मा विदुर बताते हैं कि
जिसके किसी भी कार्य करने में शीत-उष्ण, (मौसम) सम्पन्नता-विपन्नता, भय-प्रेम आदि परिस्थितियाँ विघ्न उपस्थित नहीं करती हैं, वही पण्डित कहलाता है।

Whose actons/ deeds are not affected by  cold-hot (weather), prosperity-misfortune, fear-love etc. like circumstances, he is called a wise person.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏻

Wednesday, September 2, 2020

फल

*तस्मात् असक्त: सततं कार्यं कर्म समाचार।*
*असक्त: अाचरन्कर्म परमाप्नोति पुरुष:।।*
गीता : अध्याय ३, श्लोक १९।

ज्ञानी पुरुष के समान फल की अपेक्षा नहीं रखते हुए, फल की आ‍सक्ति छोड़ कर अपना कर्त्तव्‍य कर्म सदैव करें; क्‍योंकि आ‍सक्ति छोड़ कर कर्म करने वाले मनुष्‍य को परमगति प्राप्‍त होती है।

By efficiently doing his duties without attachment or doing work without attachment, a man attains the supreme.

शुभ दिन हो।

🌸🌺💐🙏🏻

Tuesday, September 1, 2020

स्नेहाशीष

*यन्मातापितरौ क्लेशं सहेते संभवे नृणाम्।*
*न तस्य निष्कृतिः शक्या कर्तुं वर्षशतैरपि।।*
                                  
अपनी संतान के लालन पालन में माता और पिता जो क्लेश (समस्याएं और कष्ट) सहन करते हैं उसका प्रत्युपकार उनकी संतान के द्वारा सौ वर्षों तक उनकी सेवा करने से भी संभव नहीं है।

The troubles which parents face while upbringing their children can not be recompensed by their children even by taking care of their parents for one hundred years.

आज से प्रारम्भ श्राद्ध पक्ष में हम अपने पूर्वजों का स्नेहाशीष अधिकाधिक अनुभव करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Sunday, August 30, 2020

विद्यार्जन

*विद्वान् प्रशस्यते लोके विद्वान् सर्वत्र गौरवम्,*
*विद्वया लभते सर्वं विद्या सर्वत्र पूज्यते॥*

विद्वान की संसार में प्रशंसा होती है, विद्वान को सर्वत्र गौरव मिलता है, विद्या से सब कुछ प्राप्त होता है और विद्या की सर्वत्र पूजा होती है।

Knowledge is extolled by everyone; knowledge is considered great everywhere; one can attain everything with the help of knowledge; a wise and knowledged person is respected everywhere.

नित्य विद्यार्जन करें।

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏻

Friday, August 28, 2020

गुण

*गुणिनि गुणज्ञो रमते नाऽगुणशीलस्य गुणिनि परितोषः।*
*अलिरेति वनात्पद्मं न   दर्दुरस्त्वेकवासोऽपि।।*

गुणवान व्यक्ति अन्य व्यक्तियों के गुणों को देख कर आनन्दित होते हैं, परन्तु गुण रहित व्यक्तियों को दूसरों के गुणों को देख कर कोई प्रसन्नता नहीं होती है। 
देखो तो ! एक मधुमक्खी वन में खिले हुए कमल पुष्पों से उनका पराग प्राप्त करने हेतु स्वयं उनके पास चली जाती है, परन्तु मेंढक एक ही स्थान पर बने रहते हैं।

Virtuous persons always feel rejoiced on seeing the virtues of others, whereas worthless persons are never happy
on seeing the virtues of others. Look ! how a bee moves around a forest to collect the nectar from Lotus flowers, whereas frogs remain confined at one place.

*भगवान वामन की पूजा एवं परिवर्तिनी एकादशी (जलझूलनी एकादशी) की शुभकामना।*

🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

Thursday, August 27, 2020

धर्म

*ऐश्वर्यम् अध्रुवं प्राप्य ध्रुवधर्मं मतिं कुरु*
*क्षणादेव विनश्यन्ति सम्पदोऽप्यात्मना सह।*

ऐश्वर्य जो अस्थायी है, उसे प्राप्त करने के स्थान पर अपने चित्त वृत्तियों को धर्म के पालन की ओर लगाएँ, जो शाश्वत है। 
धन संपत्ति और यह शरीर तो क्षणभंगुर है।

Inspite acquiring prosperity and power, which are not permanent, we should direct our minds towards following the _Dharma_ which is eternal. Wealth and prosperity and even human life is destructible instantly.

धन से धर्म जरूरी है,
निज कर्तव्य जरूरी है।

शुभ दिन हो।

🌹🌺💐🙏🏼

Tuesday, August 25, 2020

अभिमान

*नहिं कोउ अस जनमा जग माहीं,*
*प्रभुता पाइ जाहि मद नाहीं।*

इस जग में अधिकांश मनुष्य पद पाकर अहंकारी हो जाते हैं। प्रयास करें अभिमान से बचें।

No one in mankind in this world who would not be arrogant after getting power.

शुभ दिन हो।

🌹🌸💐🙏🏻

Sunday, August 23, 2020

विवेक

*यस्य नास्ति स्वयंप्रज्ञा, शास्त्रंतस्य करोति किम्।*
*लोचनाभ्यांविहीनस्य, दर्पणः किं करिष्यति।।*

जिस प्रकार एक दृष्टिहीन व्यक्ति के लिए दर्पण कुछ नहीं कर सकता, उसी प्रकार जिसके पास प्रज्ञा (स्वविवेक) नहीं है, समस्त वेद और शास्त्र मिलकर भी उस व्यक्ति को सन्मार्ग की ओर नहीं ले जा सकते।

A mirror can not be useful for a blind person, similarly, where there is no prudence, all the Vedas and the scriptures can not even lead that person towards the right path.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏻

Thursday, August 20, 2020

सदगुण

*दानं प्रियवाक्य सहितं ज्ञानमगर्वं क्षमान्वितं शौर्यं।*
*वित्तं त्यागनियुक्तं दुर्लभमेतत् चतुष्टय लोके।।*

याचकों को दान देते समय प्रिय वचन कहने वाले, अपने ज्ञानी होने पर गर्व न करने वाले, शूरवीर होने पर भी क्षमाशील तथा धनवान होते हुए भी दानशील, इन सद्गुणों से युक्त मनुष्य इस संसार में दुर्लभ होते हैं।

Persons endowed with four qualities, namely speaking politely while doing charity, not being proud of being knowledgeable, forgiving in nature in spite of being valorous, and wealthy but also very charitable and detached from their wealth, are very rare in this World.

*हरितालिका तीज दिवस, अनुपम यह त्योहार,*
*हर घर में खुशियाँ बढ़े, सुख समृद्धि अपार।*

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼