Sunday, July 5, 2020

हर हर महादेव

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥  आप सभी को पवित्र श्रावण मास के प्रथम सोमवार की हार्दिक शुभकामनाएँ !!

Saturday, July 4, 2020

Wednesday, July 1, 2020

भाव

*यं यं वापि स्मरन्भावं त्यजत्यन्ते कलेवरम् ।*
*तं तमेवैति कौन्तेय सदा तद्भावभावित:।।*
गीता अध्याय ८, श्लोक ६।

हे कुंती पुत्र अर्जुन! यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर का त्याग करता है, वह उस भाव को ही प्राप्त होता है; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है।

Arjuna,thinking of whatever entity one leaves the body at the time of death, that and that alone one attains, being over absorbed in its thought.

*करुणा साहस मन में भर लें,*
*हर विपदा से हम टक्कर लें,*
*जीत हमारी निश्चित होगी,*
*यही भाव हम मन में भर लें।*

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Tuesday, June 30, 2020

क्षमा एवं धैर्य

*ऐश्वर्येऽपि क्षमा यस्य दारिद्र्येऽपि हितैषिता।*
*आपत्तावपि  धीरत्वं  दधतो  मर्त्यता कथं।।*

जो व्यक्ति ऐश्वर्यवान होते हुए भी क्षमाशील होते हैं, दरिद्र होते हुए भी अन्य व्यक्तियों की सहायता को सदैव तत्पर रहते हैं, तथा विपत्ति आने पर भी अपना धैर्य नहीं खोते हैं तो वे भला मृत्यु से क्यों भयभीत होंगे?

Those persons who in spite of being powerful and prosperous are also forgiving in nature, in spite of being poor are always ready to help others, and remain courageous and firm even while facing a calamity, why will they be afraid of their mortality?

*क्षमा करें व धैर्य भी धरें,*
*सदा दूसरों की सहायता करें।*

*देवशयनी एकादशी से आज चातुर्मास प्रारम्भ हो रहा है, शुभ उत्सवों एवं त्यौहारों की अगुवानी करें।*
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Sunday, June 28, 2020

शुभ वाक्य

*प्रमादः सम्पदं हन्ति प्रश्रयं हन्ति विस्मयः।*
*व्यसनं हन्ति विनयं हन्ति शोकश्च धीरताम्।।*

असावधानी के कारण संपत्ति नष्ट हो जाती है तथा मृदु और सरल व्यवहार करने से अहंकार की भावना नष्ट हो जाती है। 
बुरी आदतों के कारण लोगों में नम्रता और सद्व्यवहार की भावना नष्ट हो जाती है तथा दुःख और शोक होने की स्थिति में धैर्य और विवेक नष्ट हो जाता है।

Wealth gets destroyed due to negligence. Courteous and modest behaviour destroys pride and arrogance. 
Bad habits result in destruction of the feeling of modesty and decency among men and grief among men tends to destroy their courage and wisdom.

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Friday, June 26, 2020

त्याग

*परोक्षे कार्यहन्तारं प्रतक्षे प्रियवादिनम् ।*
*वर्जयेत्तादृशं मित्रं विषकुम्भं पयोमुखम् ॥*

जो सामने होने पर मीठी मीठी बातें करता है, परंतु पीठ पीछे आपके कार्य बिगाड़ता है या नुकसान पहुंचाने का प्रयत्न करता है, उसका उसी प्रकार त्याग कर देना चाहिए, जैसे विष से भरे उस पात्र का किया जाता है, जिसमें ऊपर खीर भरी हो।

The person who is a sweet talker before us, but in back tries to sabotage our work or spoiled, should be abandoned like the vessel which is  full of venom, but upper layer is sweetened milk.

*संचित बल से हम जीतेंगें,*
*कोरोना को हम पीटेंगें।*

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Tuesday, June 23, 2020

आभूषण

*अष्टौ गुणा पुरुषं दीपयंति* 
    *प्रज्ञा सुशीलत्वदमौ श्रुतं च।*
*पराक्रमश्चबहुभाषिता च* 
    *दानं यथाशक्ति कृतज्ञता च॥*

बाहरी आडम्बर, वस्त्र, आभूषण नहीं अपितु ये आठ गुण पुरुष (मनुष्य) को सुशोभित करते हैं - बुद्धि, सत्चरित्र, आत्म-नियंत्रण, शास्त्र-अध्ययन, साहस, मितभाषिता, यथाशक्ति दान और कृतज्ञता।

External pomp, not clothing, ornaments, but these eight qualities beautify men (human) - intellect, good character, self-control, study, courage, reticency, virtuous charity and gratitude.

*राह कठिन माना है लेकिन, आगे बढ़ते जाना है,*
*हम जीतेंगें संशय कैसा, तनिक नहीं घबराना है।*

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Saturday, June 20, 2020

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस

आप सभी को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की शुभ कामनाएं।
योग जीवन का आधार है।
योग करिये निरोग रहिये।
जीवन से अवसाद दूर करने में योग सहायक है।

प्रणाम 
योगाचार्य राहुल।

Friday, June 19, 2020

ज्ञान

*पहिले यह मन काग था, करता जीवन घात।*
*अब तो मन हंसा हुआ, मोती चुनि-चुनि खात॥*

कबीर कहते हैं कि सामान्य मनुष्य का मन एक कौए की  तरह होता है, जो कुछ भी उठा कर खा लेता है और जीवन को कष्ट पूर्ण कर लेता है।
लेकिन एक ज्ञानी का मन उस हंस के समान होता है जो चुन चुन कर केवल मोती खाता है।

Kabir says that the common man's mind is like a crow, which eats anything and make it's life miserable. But the mind of a wise man is like a swan that choose only pearls.

*जीवन में हर दम सत्य चुनें,*
*मोती चुनता वह हंस बनें,*
*बाधा विघ्नों से नहीं डरें,*
*हम व्यस्त रहें, हम स्वस्थ रहें।*

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Thursday, June 18, 2020

परमात्मा

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

*सूर्य नमन नित नित करना है,*
*योग नियम से हर दुख हरना है,*

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