Thursday, December 24, 2020

गीता जयंती

*धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।*
*मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत संजय॥*
(गीता १/१)

युद्ध के मैदान में मोहग्रस्त अर्जुन को जीवन का सार समझाते हुए परम योगीश्वर भगवान् श्रीकृष्ण ने आज ही के दिन मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी को गीता का ज्ञान दिया था।
 
सम्पूर्ण गीता का सार एवं जीवन जीने का सूत्र, जो इसके प्रथम श्लोक के पहले दो शब्दों *धर्मक्षेत्रे कुरूक्षेत्रे* में ही समाहित है,

*क्षेत्रे क्षेत्रे धर्म कुरु*

अर्थात जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में धर्म के अनुसार आचरण करें।

We should do all our deeds righteously according to our duty in all the fields of our life.

(यद्यपि श्रीमद्भागवत गीता का यह श्लोक धृतराष्ट्र द्वारा संजय से युद्ध क्षेत्र के क्रिया कलापों को जानने हेतु किया गया प्रश्न है।)

आज गीता जयंती पर आएँ हम सभी इसी सार को अपने जीवन एवं अपने आचरण में धारण करें।

सादर,

*मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती की शुभकामनाएँ।*

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Wednesday, December 23, 2020

परम सत्ता

*करोषीव न कर्ता त्वं गच्छसीव न गच्छसि।*
*श्रृणोषि न श्रृणोषीव पश्यसीव न पश्यसि॥*
अध्यात्म रामायण : बालकाण्ड : तृतीय सर्ग श्लोक २३।

परमसत्ता के परम रूपः का वर्णन करते हुए कहा :
हे प्रभु! आप कर्ता नहीं हैं, फिर भी करते हुए प्रतीत होते हैं। चलते नहीं हैं, फिर भी चलते से मालूम होते हैं। न सुनते हुए भी सुनते से दिखाई देते हैं। और न देखते हुए भी देखते हुए जान पड़ते हैं।  

इसी परम रूप का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है:

*बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।* *कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥*
*आनन रहित सकल रस भोगी।* *बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥*

The Almighty is not a doer, yet seem to be doing. Don't walk, but appear to be walking.  Don't listen, but look to be listening. And appear to be watching, despite not watching actually.

*परम शक्ति को जानें हम,*
*अन्तस् में है मानें हम,*
*हम सब अंश उसी का हैं,*
*निज को अब पहचानें हम।*

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Tuesday, November 24, 2020

तुलसी विवाह

*त्रिकाल बिनता पुत्र प्रयाश तुलसी यदि।*
*विशिष्यते कायशुद्धिश्चान्द्रायण शतं बिना।।*

यदि सुबह, दोपहर और शाम को तुलसी का सेवन किया जाए तो उससे शरीर इतना शुद्ध हो जाता है, जितना अनेक चांद्रायण व्रत के बाद भी नहीं होता।

If one consumes _Tulsi_ three times (morning, afternoon and evening) a day her/his body will become more clean than it can be done by doing _Chandrayan Vrat_ (a very difficult fasting). 

*Please plant a _Tulsi_ at home.*

*देव प्रबोधिनी एकादशी (तुलसी विवाह) पर हम अपने सोये देवत्व को जागृत करें।*

*तुलसी को अपनाएँ हम,*
*रोग प्रत्येक हराएँ हम,*
*जीवन स्वस्थ बनाएँ हम,*
*सोया देवत्व जगाएँ हम।*

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Friday, November 20, 2020

जय छठ मैया

*ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।*
*अनुकंपय माम् भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*

समस्त प्राणियों को नित्य नवजीवन प्रदान करने वाले ऊर्जा के अक्षुण्ण स्रोत सूर्य देवता की प्रथम किरण ऊषा को अर्घ्य समर्पित करूँ एवं सूर्य देव अपनी असीम अनुकम्पा हम सभी पर बरसाए।

We pray the first ray *Usha* of the eternal source of energy the *Sun* on this auspicious day of *Soorya Shashthi* and be blessed.

उदय होते सूर्य की प्रथम किरण *ऊषा* को अर्घ्य देते हुए *सूर्य आराधना के महापर्व सूर्य षष्ठी* (छठ पूजा) पर भगवान भास्कर अपने प्रखर तेज से जीवन के सभी सन्ताप नष्ट करें, ऐसी मंगलकामनाएँ।

*किरण प्रथम को अर्घ्य हमारा, सूर्य देव स्वीकार करो,*
*भाव पुष्प अर्पण करते हैं, हम सबका उद्धार करो।*

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Thursday, November 19, 2020

जय छठ मैया

*ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।*
*अर्घ्यं च फलं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम्।।*

हे सूर्य देव! हम आपको सुगंधित पुष्प फल माला अक्षत से परिपूरित पूर्ण श्रद्धा से अर्घ्य अर्पित करते हैं, आप इसे ग्रहण कर हम पर करुणा करो।

O Sun God! We offer you arghya with full devotion, complemented by fragrant flowers fruits garlands, kindly accept and bless us.

*सूर्योपासना के महापर्व सूर्य षष्ठी (छठ पूजा) पर आज अस्ताचलगामी सूर्य की अंतिम किरण प्रत्यूषा को अर्घ्य देते हुए जीवन में इस विश्वास को दृढ़ करें कि अस्त हुआ सूर्य पुनः नयी आभा के साथ शीघ्र उदय होता है।*

छठी मैया सभी के जीवन में उल्लास एवं स्वास्थ्य भर दे।

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Friday, November 13, 2020

शुभ दीपावली

*दीपो ज्योति परं ब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।*
*दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोऽस्तु ते।।*

*तमसो मा ज्योतिर्गमय*

अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ें।

Come, walk towards LIGHT from Darkness.

दीपक की ज्योति की भाँति हमारी वृत्ति भी सदैव ऊपर उठे, प्रगति करे, इसी भाव को धारण करते हुए हम सभी अज्ञान रूपी अंधकार से ज्ञान रूपी प्रकाश की ओर बढ़ें।

दीप पर्व है दीप जलाएँ,
अंधकार को आज हराएँ,
आलोकित करने हर जीवन,
आएँ हम दीपक बन जाएँ।

*शुभ दीपावली*
*स्वस्थ दीपावली*
*मंगल दीपावली*

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Saturday, November 7, 2020

विचार

*अपवक्ता हृदयाविजश्चित्।* (ऋग्वेद 1/24/8)

उन सभी कुत्सित विचारों को त्याग दीजिये जो आत्मा को कष्ट दे अथवा नष्ट कर दे।

Abandon all sorrowful thoughts which may trouble or destroy the soul.

*हम ईश्वर की संतानें,*
*आज स्वयं को पहचानें।*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, November 5, 2020

सम भाव

*इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः।*
*निर्दोषं हि समं ब्रह्म तस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।*
गीता : अध्याय ५, श्लोक १९।

जिस मनुष्य का मन सम-भाव में स्थित रहता है, उसके द्वारा जन्म-मृत्यु के बन्धन रूपी संसार को जीत लिया जाता है क्योंकि वह ब्रह्म के समान निर्दोष एवं सम होता है और सदा परमात्मा में ही स्थित रहता है।

तुलसीदास जी ने भी इस तथ्य को सरल शब्दों में कहा है:
*समरथ कहुँ नहि दोष गुसाईं।*
*रवि पावक सुरसरि की नाईं।*
  
Those whose minds are established in sameness and equanimity have already conquered the conditions of birth and death. They are flawless like Almighty, and thus they are already situated in Almighty.

स्वस्थ रहें।

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Sunday, November 1, 2020

व्यवहार

*श्रूयताम धर्मसर्वस्वं श्रुत्वा चैवानुवर्यताम।*
*आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषाम न समाचरेत॥*

धर्म का भावार्थ सुनें एवं समझ कर जीवन में अनुपालन करें। दूसरों के साथ वैसा व्यवहार न करें जो स्वयं के लिए प्रतिकूल हो।

किन्तु इसी के साथ नीति कहती है,

*शठे शाठ्यम समाचरेत्*

 दुष्टों के साथ दुष्टतापूर्ण व्यवहार उचित है।

We should follow the cases of religion after thorough analysis. We should not behave others in a way which we didn't like for us.

but it is also said that

_TIT for TAT_

*नहीं किसी का अहित करेंगें,*
*किन्तु न हम अन उचित सहेंगें।*
*स्वस्थ रहेंगें स्वस्थ रखेंगें,*

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Saturday, October 31, 2020

धर्म

*उच्छिद्यते धर्मवृतं अधर्मो विद्यते महान्।*
*भयमाहुर्दिवारात्रं यदा  पापो  न वार्यते।।*

समाज में जब पापकर्मों (बुरे और निषिद्ध कार्यों) पर किसी प्रकार का  नियन्त्रण  और प्रतिबन्ध नहीं होता है  तब लोगों के धार्मिक आचरण में न्यूनता (कमी) होने लगती है और अधर्म (बुरे और निषिद्ध कर्मों) में महान वृद्धि होने से रात दिन सर्वत्र भय व्याप्त हो जाता है।
 
In a society where there is no control over sinful and illegal deeds, there is a steep decline in the  religious austerity of the people, and  as a result  there is abnormal  increase in immorality, and an environment of fear is built up everywhere at all times.

धर्म अडिग हो धर्म अटल हो,
करुणा से पूरित हर पल हो,
आज अगर हम धर्म निभाएँ,
तभी सुरक्षित अपना कल हो।

स्वस्थ रहें।

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