Wednesday, September 30, 2020

परिस्थिति

*उग्रत्वं च मृदुत्वं च समग्रं वीक्ष्य संश्रयेत्।*
*अन्धकारम् असंहृत्य न उग्रो भवति भास्करः।।*

जिस प्रकार सन्ध्या तथा प्रातःकाल के समय सूर्य अपने प्रखर रूप मे नहीं रहता है। उसी प्रकार परिस्थिति के अनुसार ही मनुष्य को उग्र अथवा मृदु व्यवहार करना चाहिए। परिस्थिति अनुकूल न हो तो क्रोध करने से कोई लाभ नहीं होता है।

Simile of the setting and rising Sun, while dealing with others one should behave firmly (angrily) or gently (with courtesy) only after properly assessing the prevailing situation. When the situation is adverse showing anger does not help at all.

प्रातः संध्या धीमा रहता,
देख समय सूर्य चमकता,
जीवन का यह पाठ सिखाता,
समयानुकूल व्यवहार सुहाता।

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, September 29, 2020

सुख दुःख

*सुखमापतितं सेव्यं दु:खमापतितं तथा।*
*चक्रवत् परिवर्तन्ते दु:खानि च सुखानि च॥*

जीवन में आने वाले सुख का आनन्द लें तथा दु:ख को भी स्वीकार करें।
सुख और दु:ख एक के बाद एक चक्रवत आते रहते हैं।

We should accept sorrow in life as well as joyous moments. Sorrow and Joy both are inevitable and come turn by turn.

सुख दुख दोनों बहते रहते, अविरल समय प्रवाहों में,
सुख है दुःख की गोदी में,
दुःख है सुख की बाहों में।

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 28, 2020

परिश्रम

*यथा हि एकेन चक्रेण न रथस्य गतिर्भवेत्।*
*एव पुरूषकारेण विना दैवं न सिध्यति॥*

जिस प्रकार एक पहिये वाले रथ की गति सम्भव नहीं है, उसी प्रकार पुरुषार्थ एवम् परिश्रम के बिना केवल भाग्य से कार्य सिद्ध नहीं होते हैं।

Just like a chariot cannot run with only a single wheel, similarly luck alone cannot work without efforts.

आएँ हम पुरुषार्थ करें,
कभी विफलता से न डरें।

स्वस्थ रहें।

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Sunday, September 27, 2020

मित्र

*अर्चयेदेव मित्राणि सति वाऽसति वा धने।*
*नानर्थयन् प्रजानति मित्राणं सारफल्गुताम्॥*
महाभारत : विदुर नीति

Friends should be respected in every situation, whether they have money or not and they should be helped in times of need even if there is no direct benefit.

मित्रों का हर स्थिति में आदर करना चाहिए, चाहे उनके पास धन हो अथवा न हो तथा मित्र से कोई स्वार्थ न होने पर भी आवश्यकता के समय उनकी सहायता करनी चाहिए।

*जीवन की हर एक डगर,*
*मित्र जरूरी पग पग पर।*

स्वस्थ रहें।

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Saturday, September 26, 2020

उत्साह

*उत्साहो बलवानार्य नास्त्युत्साहात्परं बलम्।*
*सोत्साहस्य च लोकेषु न किंचिदपि दुर्लभम्॥*
वाल्मीकि रामायण : किष्किन्धा काण्ड ; १/१२१

Enthusiasm is the power of men. Nothing is as powerful as enthusiasm. Nothing is difficult in this world for an enthusiastic person.

उत्साह पुरुषों का बल है, उत्साह से बढ़कर और कोई बल नहीं है। उत्साहित व्यक्ति के लिए इस लोक में कुछ भी दुर्लभ नहीं है। 

*तुम उत्साह कभी मत खोना,*
*हारेगा निश्चित कोरोना।*

स्वस्थ रहें।

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Friday, September 25, 2020

धैर्य

*अभिवर्षति योऽनुपालयन्विधिबीजानि विवेकवारिणा।*
*स सदा फलशालिनीं क्रियां शरदं लोक इव अधितिष्ठति॥*
किरातार्जुनीय : द्वितीय सर्ग।

जो कृत्य या करने योग्य कार्य रूपी बीजों को विवेक रूपी जल से धैर्य के साथ सींचता है वह मनुष्य फलदायी शरद ऋतु की भांति कर्म-साफल्य को प्राप्त करता है।

A person who irrigates the seeds of work or doable work with patience through water like prudence, attains success like a fruitful autumn.

*कर्म सींचे धैर्य रखकर,*
*जल विवेकवान हृदय से,*
*हम सफल निश्चित ही होंगें,*
*जीत जाएँ हार के भय से।*
स्वस्थ रहें।

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Thursday, September 24, 2020

अहम

*अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णा हि दन्शितः।*
*नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखी भव।।*
अष्टावक्र गीता : अध्याय १, श्लोक ८।

*मैं कर्ता हूँ* इस अहं रूपी सर्प के दंश से हम सभी पीड़ित हैं अतः *मैं कर्ता नहीं हूँ* इस अमृत का पान करें एवम् सुखी हो जाएँ।

*I am the doer*, we all have been suffering from this ego, so take the nectar of *I am not the doer* and be happy.

अहम् को त्यागें।

*मुझे नहीं होगा कोरोना,*
*इसी अहम का मन में होना,*
*घातक है यह इसको छोड़ें,*
*घर की सीमा अभी न तोड़ें।*

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Wednesday, September 23, 2020

आंतरिक शक्ति

*अन्तः सारविहीनस्य सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि स्थितो वेणुर्वेणुरेव न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

*अपनी अन्तस शक्ति बढ़ाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, September 22, 2020

ज्ञान

*ज्ञान मान जहँ एकउ नाहीं।*
*देख ब्रह्म समान सब माहीं॥*
रामचरित मानस: अरण्य काण्ड।

ज्ञान वह है, जहाँ अभिमान रूपी दोष नहीं है और जो सबमें समान रूप से ब्रह्म का स्वरूप ही देखता है।

Intellect is the absence of ego and treating all equally.

*स्वयं बचें औरों को बचाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 21, 2020

हरि आराधना

*जाति पात पूछे नहीं कोई,*
*हरि को भजे सो हरि का होई।*

साध्य अर्थात लक्ष्य कभी भी जाति अथवा पंथ के बारे में नहीं पूछता वरन जो लक्ष्य को प्रति क्षण स्मरण करता है उसे लक्ष्य प्राप्त होता है।

Goal or achieving something never asks about caste or creed, but one who trudges his goal every moment, achieves the goal.

*एक लक्ष्य स्वस्थ रहें सब,*
*इस संकट से जीतें सब।*

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