Thursday, September 24, 2020

अहम

*अहं कर्तेत्यहंमानमहाकृष्णा हि दन्शितः।*
*नाहं कर्तेति विश्वासामृतं पीत्वा सुखी भव।।*
अष्टावक्र गीता : अध्याय १, श्लोक ८।

*मैं कर्ता हूँ* इस अहं रूपी सर्प के दंश से हम सभी पीड़ित हैं अतः *मैं कर्ता नहीं हूँ* इस अमृत का पान करें एवम् सुखी हो जाएँ।

*I am the doer*, we all have been suffering from this ego, so take the nectar of *I am not the doer* and be happy.

अहम् को त्यागें।

*मुझे नहीं होगा कोरोना,*
*इसी अहम का मन में होना,*
*घातक है यह इसको छोड़ें,*
*घर की सीमा अभी न तोड़ें।*

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Wednesday, September 23, 2020

आंतरिक शक्ति

*अन्तः सारविहीनस्य सहायः किं करिष्यति।*
*मलयेऽपि स्थितो वेणुर्वेणुरेव न चन्दनः।।*

जिस व्यक्ति में स्वयं अपनी आन्तरिक शक्ति या सामर्थ्य न हो उसकी सहायता करने से कुछ भी लाभ नहीं होता है। उदाहरणार्थ मलय प्रदेश में चन्दन वृक्ष के वनों में उगे हुए बाँस के वृक्ष बाँस के ही  रहते हैं और चन्दन नहीं हो जाते हैं।

It is of no use to help a person who is devoid of inner strength and capability, just like the bamboo trees growing in the Malaya region in a forest of Sandalwood trees remain as bamboo trees and do not become sandal wood trees.

*अपनी अन्तस शक्ति बढ़ाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Tuesday, September 22, 2020

ज्ञान

*ज्ञान मान जहँ एकउ नाहीं।*
*देख ब्रह्म समान सब माहीं॥*
रामचरित मानस: अरण्य काण्ड।

ज्ञान वह है, जहाँ अभिमान रूपी दोष नहीं है और जो सबमें समान रूप से ब्रह्म का स्वरूप ही देखता है।

Intellect is the absence of ego and treating all equally.

*स्वयं बचें औरों को बचाएँ,*
*कोरोना को मार भगाएँ।*

स्वस्थ रहें।

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Monday, September 21, 2020

हरि आराधना

*जाति पात पूछे नहीं कोई,*
*हरि को भजे सो हरि का होई।*

साध्य अर्थात लक्ष्य कभी भी जाति अथवा पंथ के बारे में नहीं पूछता वरन जो लक्ष्य को प्रति क्षण स्मरण करता है उसे लक्ष्य प्राप्त होता है।

Goal or achieving something never asks about caste or creed, but one who trudges his goal every moment, achieves the goal.

*एक लक्ष्य स्वस्थ रहें सब,*
*इस संकट से जीतें सब।*

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Sunday, September 20, 2020

हित

*स अर्थो यो हस्ते तत् मित्रं यत् निरन्तरं व्यसने।*
*तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः।।*

वही सच्चा धन है जो अपने हाथ (अधिकार) में हो और वही सच्चा मित्र है जो हमेशा विपत्ति में भी साथ दे। रूपवान होना तभी शोभा देता है जब कि व्यक्ति गुणवान भी हो, तथा वही विज्ञान सही है जो धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार (समाज के हित के लिए) हो।

Only that wealth is the real wealth which is in our hands (under control) and only that person is a real friend who constantly supports us even in adversity. Beauty of a person is real only when he is also virtuous and a science or a discipline of learning is real only when it propagates religious austerity and righteousness.

स्वास्थ्य हमारा हाथ हमारे।

स्वस्थ रहें।

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Saturday, September 19, 2020

धर्म

*अकृत्यं नैव कर्तव्यं प्राणत्यागेऽप्युपस्थिते ।*
*न च कृत्यं परित्याज्यं एष धर्मः सनातनः॥*

प्राण त्याग करने की परिस्थिति में भी अयोग्य/ निषिद्ध काम नहीं करना चाहिए, और करने योग्य काम नहीं छोडना चाहिए – यह सनातन धर्म है।

One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life, and should perform his duties. 

*स्वस्थ रहें, शक्ति संचित करें।*

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Friday, September 18, 2020

सत्संग

*तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिअ तुला इक अंग।*
*तूल न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव सतसंग।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

The advantages of good company can't be measured even with all of the pleasures of all heavens.

स्वर्ग और अपवर्ग के सभी सुखों को तराजू के एक पलड़े पर रखें और सत्संग के लेशमात्र के सुख को दूसरे पर तो भी सत्संग का सुख ही भारी होगा। स्वर्ग और मोक्ष का सुख भी सत्संग की तुलना में कम है।

*सुसंगत होती सदा सुखदायी।*
*सुख स्वर्ग से भी न हो भरपाई।*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, September 17, 2020

विद्वान

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

आज से प्रत्येक तीन वर्षों में एक बार हिन्दी पञ्चाङ्ग के अनुसार होने वाले अधिक मास का प्रारम्भ हो रहा है, उसके पश्चात शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ होगा।

आएँ इस *आश्विन अधिक मास* में अधिकाधिक घर में रहते हुए अपनी शक्तियों का संचय करें।


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Wednesday, September 16, 2020

जीवन प्रकिया

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें। 

शुभ दिन हो।

*कोरोना से बचना है,*
*हल्के में नहीं लेना है।*

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Tuesday, September 15, 2020

सुसंगति

*एक घडी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।*
*तुलसी संगत साधु की, हरे कोटि अपराध।।*

तुलसीदास जी ने सुसंगति के महत्त्व का बखान करते हुए कहा है कि भले एवं सच्चे लोगों की अतिअल्प संगति भी हमारे जीवन से कई प्रकार के कल्मष एवम् पापों को हर लेती है।

रामचरित मानस में भी तुलसीदास जी ने भक्ति के नौ मार्गों (नवधा भक्ति) में सर्व प्रथम अच्छे लोगों की संगति बताया है: 
*प्रथम भगति संतन कर संगा।*

A very short period with a noble person certainly removes many sins from our life and makes us pious.

शुभ दिन हो।

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