Sunday, September 20, 2020

हित

*स अर्थो यो हस्ते तत् मित्रं यत् निरन्तरं व्यसने।*
*तत् रूपं यत् गुणाः तत् विज्ञानं यत् धर्मः।।*

वही सच्चा धन है जो अपने हाथ (अधिकार) में हो और वही सच्चा मित्र है जो हमेशा विपत्ति में भी साथ दे। रूपवान होना तभी शोभा देता है जब कि व्यक्ति गुणवान भी हो, तथा वही विज्ञान सही है जो धर्म के सिद्धान्तों के अनुसार (समाज के हित के लिए) हो।

Only that wealth is the real wealth which is in our hands (under control) and only that person is a real friend who constantly supports us even in adversity. Beauty of a person is real only when he is also virtuous and a science or a discipline of learning is real only when it propagates religious austerity and righteousness.

स्वास्थ्य हमारा हाथ हमारे।

स्वस्थ रहें।

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Saturday, September 19, 2020

धर्म

*अकृत्यं नैव कर्तव्यं प्राणत्यागेऽप्युपस्थिते ।*
*न च कृत्यं परित्याज्यं एष धर्मः सनातनः॥*

प्राण त्याग करने की परिस्थिति में भी अयोग्य/ निषिद्ध काम नहीं करना चाहिए, और करने योग्य काम नहीं छोडना चाहिए – यह सनातन धर्म है।

One should not do improper or criminal acts even if he faces a threat to his life, and should perform his duties. 

*स्वस्थ रहें, शक्ति संचित करें।*

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Friday, September 18, 2020

सत्संग

*तात स्वर्ग अपवर्ग सुख, धरिअ तुला इक अंग।*
*तूल न ताहि सकल मिलि, जो सुख लव सतसंग।।*
रामचरित मानस : सुन्दर काण्ड।

The advantages of good company can't be measured even with all of the pleasures of all heavens.

स्वर्ग और अपवर्ग के सभी सुखों को तराजू के एक पलड़े पर रखें और सत्संग के लेशमात्र के सुख को दूसरे पर तो भी सत्संग का सुख ही भारी होगा। स्वर्ग और मोक्ष का सुख भी सत्संग की तुलना में कम है।

*सुसंगत होती सदा सुखदायी।*
*सुख स्वर्ग से भी न हो भरपाई।*

स्वस्थ रहें।

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Thursday, September 17, 2020

विद्वान

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

आज से प्रत्येक तीन वर्षों में एक बार हिन्दी पञ्चाङ्ग के अनुसार होने वाले अधिक मास का प्रारम्भ हो रहा है, उसके पश्चात शारदीय नवरात्र का प्रारम्भ होगा।

आएँ इस *आश्विन अधिक मास* में अधिकाधिक घर में रहते हुए अपनी शक्तियों का संचय करें।


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Wednesday, September 16, 2020

जीवन प्रकिया

*वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि।*
*तथा शरीराणि विहाय जीर्णान्यन्यानि संयाति नवानि देही।।*
गीता : अध्याय २, श्लोक २२।

Just like people shed worn-out clothes and wear new ones, our soul casts off its worn-out body and enters a new one.

जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नये वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीर को त्यागकर दूसरे नये शरीर को धारण करती है।

*सर्वपितृ अमावस्या* पर आएँ अपने पूर्वजों के स्वर्ग में अथवा इस पृथ्वी पर किसी और शरीर में होने के विश्वास को दृढ़ करते हुए, उनके आशीर्वाद को अनुभव करें। 

शुभ दिन हो।

*कोरोना से बचना है,*
*हल्के में नहीं लेना है।*

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Tuesday, September 15, 2020

सुसंगति

*एक घडी आधी घड़ी, आधी में पुनि आध।*
*तुलसी संगत साधु की, हरे कोटि अपराध।।*

तुलसीदास जी ने सुसंगति के महत्त्व का बखान करते हुए कहा है कि भले एवं सच्चे लोगों की अतिअल्प संगति भी हमारे जीवन से कई प्रकार के कल्मष एवम् पापों को हर लेती है।

रामचरित मानस में भी तुलसीदास जी ने भक्ति के नौ मार्गों (नवधा भक्ति) में सर्व प्रथम अच्छे लोगों की संगति बताया है: 
*प्रथम भगति संतन कर संगा।*

A very short period with a noble person certainly removes many sins from our life and makes us pious.

शुभ दिन हो।

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Monday, September 14, 2020

परम सत्ता

*नाथ सुहृद सुठि सरल चित, सील सनेह निधान।*
*सब पर प्रीति प्रतीति जियँ, जानिअ आपु समान॥*
रामचरित मानस : अयोध्या काण्ड।

परम सत्ता की विशेषताएँ बताते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि हे नाथ! आप परम सुहृद् (बिना ही कारण परम हित करने वाले), सरल हृदय तथा शील और स्नेह के भंडार हैं, आपका सभी पर प्रेम और विश्वास है, और अपने हृदय में सबको अपने ही समान जानते हैं।

The Almighty has supreme and simple heart full of modesty and affection, and also has love and faith in all knowing everyone.

*परम परम दयालु हैं, करुणा के भण्डार,*
*हितकारी सबके सदा, करूँ नित नमस्कार।*

शुभ दिन हो।

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Sunday, September 13, 2020

राष्ट्र भाषा हिन्दी

*निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।* 
*बिन निज भाषा-ज्ञान के, मिटत न हिय को सूल।।*
भारतेन्दु हरिश्चंद्र।

भारत में हिन्दी को एक संवैधानिक भाषा के रूप में आज के दिन वर्ष 1949 में अपनाया गया। 
आएँ आज हिन्दी दिवस पर हम हिन्दी का अधिकाधिक प्रयोग करने हेतु प्रतिबद्ध हों, संकल्पित हों।

शुभ दिन हो।

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Saturday, September 12, 2020

संतोष

*असन्तोषः परं दुःखं सतोषः परमं सुखं।*
*सुखार्थी पुरुषस्तस्यात्सन्तुष्टः सततं भवेत् ।।*

जो व्यक्ति संतोषी नहीं होता है वह सदैव ही अत्यन्त दुःखी रहता है और जो व्यक्ति संतोषी होता है वह परम सुख का अनुभव करता है। अतएव सुख की कामना करना वाले व्यक्ति को सदैव संतुष्ट रहना चाहिये।

A person who is not contended or satisfied at what he has got or achieved, always remains unhappy, whereas a person who is satisfied at his lot, enjoys supreme bliss. Therefore, seekers of happiness must always remain satisfied at what they have achieved.

शुभ दिन हो।

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Friday, September 11, 2020

प्रभु सुमिरन

*बारि मथें घृत होइ बरु सिकता ते बरु तेल।*
*बिनु हरि भजन न तव तरिअ यह सिद्धांत अपेल॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

जल को मथने से भले ही घी उत्पन्न हो जाए और बालू (को पेरने) से भले ही तेल निकल आए, परन्तु परमात्मा के सुमिरन के बिना संसार रूपी सागर से नहीं तरा जा सकता, यह सिद्धांत अटल है॥

Even butter can be produced by churning water and the oil can be abstracted from sand, But being not on the path of God, one can not distract from the attraction of this world. This theory is unattainable.

शुभ दिन हो।

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