Tuesday, August 11, 2020

कृष्ण जन्माष्टमी

*यदा-यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।*
*अभ्युत्थानम् अधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌॥*
*परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।*
*धर्मसंस्थापनार्थाय सम्भवामि युगे युगे॥*
गीता : अध्याय ४, श्लोक ७-८।

*जब जब होय धर्म की हानी,* 
*बाढ़हिं असुर, अधम, अभिमानी,*
*तब तब प्रभु धर विविध शरीरा,* 
*हरहि कृपानिधि, सज्जन पीरा।*
रामचरितमानस : बालकाण्ड

जब जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात्‌ साकार रूप में लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ। सज्जन पुरुषों की रक्षार्थ, पाप कर्म करने वालों को नष्ट करने के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युग-युग में अर्थात् हर समय प्रकट होता हूँ। 

The assurance of Almighty to all mankind is, "Whenever virtue subsides and wickedness prevails, I manifest Myself. To establish virtue, to destroy evil, to save the good I come at every Yuga (age).

आज श्री कृष्ण जन्मोत्सव पर परमसत्ता के इस सङ्कल्प को स्वयं में अवतरित करें, जो हमारी समस्त बुराइयों को नष्ट कर दे।

*श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ।* 

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Sunday, August 9, 2020

धैर्य

*धीराः शोकं तरिष्यन्ति लभन्ते सिद्धिमुत्तमं।*
*धीरैः संप्राप्ते लक्ष्मी: धैर्यं सर्वत्र साधनम् ।।*

धैर्यवान व्यक्ति शोक रूपी सागर को तैर कर उत्तम सफलता तथा धन सम्पत्ति प्राप्त कर लेते हैं। धैर्य ही हर प्रकार की विपरीत परिस्थितियों पर सफलता पाने का उत्तम साधन है।

People who have patience are able to fathom the ocean of sorrows and achieve success in their endeavors and become rich.
Patience is the best means of achieving success in every field during adversity.

*धीरज सहचर यदि होता है,* 
*जीवन सहज सरल होता है,*
*समय चक्र है चलता रहता,*
*समय एक सा कब होता है।*


शुभ दिन हो।

🌺🌹💐🙏🏼

Thursday, August 6, 2020

यत्न

*यद्यत् परवशं कर्म तत्तद् यत्नेन वर्जयेत्।*
*यद्यदात्मवशं तु स्यात् तत्तत् सेवेत यत्नतः॥*
मनुस्मृति: ४/१५९ अ

जो कर्म दूसरे के आधीन हैं, उन को यत्न से छोड़ दें और जो अपने अधीन हैं, उनको यत्न से करें।

Try to avoid the work for which we have to depend on others. Try to finish the work fast for which we can do independently.

*कार्य अगर है अपने वश में, शीघ्र उसे निपटाएँ हम,*
*नाम राम का संग सदा हो, यह विश्वास जगाएँ हम।*

शुभ दिन हो।

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Monday, August 3, 2020

जय श्री राम

*तृषा जाइ बरु मृगजल पाना।* *बरु जामहिं सस सीस बिषाना।*
*अंधकारु बरु रबिहि नसावै।*
*राम बिमुख न जीव सुख पावै॥*
रामचरितमानस : उत्तर काण्ड।

तुलसीदास जी ने परम् तत्व से विमुख होकर सुखी होना नितान्त असम्भव कहा है चाहे नाना प्रकार के असम्भव कार्यों के होने की सम्भावना हो। यथा मरीचिका (मृगतृष्णा) के जल को पीने से भले ही प्यास बुझ जाए, खरगोश के सिर पर भले ही सींग निकल आवे, अन्धकार भले ही सूर्य का नाश कर दे, परन्तु श्री राम से अर्थात परमतत्व से विमुख होकर जीव सुख नहीं पा सकता।

Even thirst can be satisfied with water from Miraz, a hare can get thrones on its head, dark can destroy the Sun, But no one can get pleasure being against the path of *RAM* means the Almighty.

*राम राम मय सब जीवन हों,*
*पुलकित हर्षित सबके मन हों,*

शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏻

Sunday, August 2, 2020

रक्षा बंधन

*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबल:।*
*तेन त्वाम् अनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चल।।*

श्रावणी पूर्णिमा एवं रक्षाबन्धन के इस पुनीत पर्व पर आएँ हम सभी रक्षासूत्र धारण करें एवं जिस प्रकार दानवों के महाबली राजा बलि इस सूत्र में बाँधे गये थे, अर्थात् धर्म में प्रयुक्त किये गये थे, उसी प्रकार हम भी इस सूत्र को धारण कर धर्म के लिए प्रतिबद्ध हों एवं निर्बल की रक्षा हेतु संकल्पित हों। ये रक्षा सूत्र स्थिर रहकर हमें अपना संकल्प स्मरण कराता रहे।

The mighty king of the Danavas *BALI* was tied in the sutra, that is, indulged in religion, similarly we too should commit to religion by wearing this sutra and be determined to protect the weak. These _Raksha Sutras_ should remain constant and remind us.

रक्षा बन्धन पर्व की अनंत शुभकामनाएँ।

*संकल्पित हों, संयमित हो,*
*स्वच्छ रहें तो सुरक्षित हों।*

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Wednesday, July 29, 2020

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

*अपनी सुरक्षा हाथ हमारे,*
*हम खुद समझें रिपु कैसे हारे,*
*घर में अपने स्वच्छ रहें हम,*
*अपनी शक्ति से स्वस्थ रहें हम।*
 
शुभ दिन हो।

🌺🌸💐🙏🏼

Monday, July 27, 2020

सुख

*परोपकरणं येषां जागर्ति हृद्ये  सताम्।*
*नश्यन्ति विपदस्तेषां संपदः स्यु पदे पदे॥*

जिन सज्जन व्यक्तियों के हृदय में परोपकार की भावना जागृत है और जो अपना जीवन निर्बल लोगों की सहायता हेतु समर्पित कर देते हैं, उनके ऊपर आयी हुई सभी विपदाएँ नष्ट हो जाती हैं तथा उन्हें कदम कदम पर प्रसन्नता और संपत्ति की प्राप्ति होती है।

Those noble and righteous persons who have committed themselves to serve the meek and needy persons, the misfortune
and calamities befalling upon them disappear and they enjoy prosperity and happiness at every step.


*निर्बल निर्धन या निरूपाय,*
*हम ग़र उनके बनें सहाय,*
*ईश साथ हो जाते पल में,*
*धन वैभव भी सहज सुहाय।*

शुभ दिन हो।

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Sunday, July 26, 2020

राम भक्ति

*अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति,*
*नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत।*

तुलसीदास को गोस्वामी तुलसीदास बनाने में उनकी पत्नी रत्नावली का इस दोहे का अर्थ
”मेरे इस हाड़ माँस के शरीर के प्रति जितनी तुम्हारी आसक्ति है, उसकी तुलना में तनिक भी अगर प्रभु से होती तो तुम्हारा जीवन सँवर गया होता।"

गोस्वामी तुलसीदास जयंती पर आएँ हम सब प्रभु भक्ति की लौ लगाएँ।

*राम भगति सब सुख कर जाना,*
*गोस्वामी भए तुलसी माना,*
*जिसने राम मरम पहचाना,*
*पड़ा नहीं उसको पछताना।*

शुभ दिन हो।

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Saturday, July 25, 2020

गुण अवगुण

*प्रावृषेन्यस्य मालिन्यं, दोषः कोऽभीष्टवर्षिण:।*
*शरदाऽभ्रस्य शुभ्रत्वं, वद  कुत्रोपयुज्यते।।*

कौन कहता है कि वर्षा ऋतु में बादलों का कालापन उनका एक दोष है? उनसे ही तो जलवृष्टि की कामना की जाती है। भला शरद ऋतु के शुभ्र (सफ़ेद) बादलों की क्या उपयोगिता है?

Who says that the dark blackness of the rain clouds is their defect? Every one expects rain from them only. On the other hand what is the usefulness of pure white clouds of the autumn season?

*क्यों रूप रंग का ध्यान करें,*
*गुण अवगुण का भान करें,*
*सत्य असत्य पहचान करें,*
*जाँचें परखें, सम्मान करें,*

शुभ दिन हो।

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Thursday, July 23, 2020

राम बिमुख

*मित्र करइ सत रिपु कै करनी।* 
*ता कहँ बिबुधनदी बैतरनी॥*
*सब जगु ताहि अनलहु ते ताता।* 
*जो रघुबीर बिमुख सुनु भ्राता॥*
रामचरितमानस : अरण्य काण्ड।

तुलसीदास जी ने राम विमुख अर्थात अपने कर्तव्य, धर्म एवं स्वयं से विमुख हो, के लिए लिखा है कि उसके मित्र भी सैकड़ों शत्रुओं के समान हो जाते हैं, देवनदी गंगा भी उसके लिए वैतरणी (यमपुरी की नदी) हो जाती है और ये समस्त संसार उनके लिए अग्नि से भी अधिक गरम (जलाने वाला) हो जाता है।

The one who deviates his duties, religion and self, his friends also become like hundreds of enemies, _Devanadi_ Ganga also becomes a _Vaitarni_ (river of Yampuri) for him and this whole world becomes even hotter (burning) for him.

*मित्र बनें अरु मित्र बनाएँ,*
*रिपु हो कोई क्यों घबराएँ,*
*साथ सुसंग सदा रखना है,*
*जीवन सुख से भरा बिताएँ।*

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