Friday, December 6, 2019

परमात्मा

*करोषीव न कर्ता त्वं गच्छसीव न गच्छसि।*
*श्रृणोषि न श्रृणोषीव पश्यसीव न पश्यसि॥*
अध्यात्म रामायण : बालकाण्ड : तृतीय सर्ग श्लोक २३।

परमसत्ता के परम रूपः का वर्णन करते हुए कहा :
हे प्रभु! आप कर्ता नहीं हैं, फिर भी करते हुए प्रतीत होते हैं। चलते नहीं हैं, फिर भी चलते से मालूम होते हैं। न सुनते हुए भी सुनते से दिखाई देते हैं। और न देखते हुए भी देखते हुए जान पड़ते हैं।  

इसी परम रूप का वर्णन तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में किया है:

*बिनु पद चलइ सुनइ बिनु काना।* *कर बिनु करम करइ बिधि नाना॥*
*आनन रहित सकल रस भोगी।* *बिनु बानी बकता बड़ जोगी॥*

The Almighty is not a doer, yet seem to be doing. Don't walk, but appear to be walking.  Don't listen, but look to be listening. And appear to be watching, despite not watching actually.

परमात्मा को पहचानें।

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Thursday, December 5, 2019

कपट

*कपटेन पुनर्नैव व्यापारो यदि वा कृतः।*
*पुनर्न परिपाकोर्हा हन्डिका काष्टनिर्मिता।।*

यदि कपट पूर्वक (धोखा दे कर) किसी व्यक्ति से कोई व्यापार करने के बाद वही व्यापार उस से पुनः किया जाता है तो वह उसी प्रकार संपन्न नहीं हो सकता है जिस प्रकार लकड़ी से बनी हुई हांडी चूल्हे पर दूसरी बार नहीं चढ़ सकती है।

(इसी भावना को कवि रहीम ने इस प्रकार व्यक्त किया है  - 
फेर न ह्वैहैं कपट सों, जो कीजै ब्यौपार।
रहिमन हांडी काठ की, चढै न दूजी बार॥)
       
Any business is done with someone with deceit or trickery, and if the same business is again done with him, it does not materialise next time, just like a pot made of wood can not be used again for the second time for cooking.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Wednesday, December 4, 2019

सुख

*बैर न बिग्रह आस न त्रासा।*
*सुखमय ताहि सदा सब आसा॥*
रामचरितमानस : उत्तरकाण्ड

जो मनुष्य न किसी से वैर करे, न लड़ाई-झगड़ा करे, न आशा रखे, न भय ही करे। उसके लिए सभी दिशाएँ सदा सुखमयी हैं। अर्थात् वह सदैव सुखी रहता है।

The man who does not hate anyone, fight or quarrel, does not expect and does not have fear. All directions for him are always pleasant. That is, he is always happy.

शुभ दिन हो।

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Tuesday, December 3, 2019

बुद्धिमत्ता

*निश्चित्य य: प्रक्रमते नान्तर्वसति कर्मण: ।*
*अवन्ध्यकालो वश्यात्मा स वै पण्डित उच्यते ॥*

जो पहले निश्चय करके कार्य का आरम्भ करता है, कार्य के बीच में नहीं रुकता, समय को व्यर्थ नहीं गँवाता और चित्त को वश में रखता है, वही पण्डित कहलाता है।

One who starts the work with determination, does not leave it unfinished, does not waste time and keeps the mind in control, is called Wise.

शुभ दिन हो।

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Monday, December 2, 2019

पद

*उत्तमे सह सङ्गेन को न याति समुन्नतिं।*
*मूर्ध्ना तृणानि धार्यन्ते ग्रथितैः कुसुमैः सह।।*

उत्तम (महान) व्यक्तियों की संगति मे उन्नति और उच्च पद प्राप्त नहीं कर पाए, ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है।
जिस प्रकार साधारण घास के तिनके भी पुष्पों के साथ गूँथे जाने पर लोगों द्वारा मस्तक पर धारण किये जाते हैं।

No person exists who does not achieve high position and advancement in the company of great and excellent person, Even the blades of ordinary grass when ties with beautiful flowers get placed on the foreheads of people.

शुभ दिन हो।

🌸🌹💐🙏🏼

Sunday, December 1, 2019

नियति

*जनम मरन सब दुख सुख भोगा।*
*हानि लाभु प्रिय मिलन बियोगा॥*
*काल करम बस होहिं गोसाईं।* 
*बरबस राति दिवस की नाईं॥*
रामचरितमानस : अयोध्या काण्ड।

जन्म-मरण, सुख-दुःख के भोग, हानि-लाभ, प्रियजनों का मिलना-बिछुड़ना, ये सब कर्म एवं समय के अधीन हैं एवं रात और दिन की तरह नियमित बरबस होते रहते हैं।

Birth & Death, Joy & Sorrow, Profit & Loss and Meeting & Separating of Dears; these all events necessarily take place depending on time & karma like days and nights.

शुभ दिन हो।

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Saturday, November 30, 2019

स्वार्थ की पूर्ति

*औचित्य प्रच्युताचारो युक्ता स्वार्थं न साधयेत्।*
*व्याजबालिवधेनैव  रामकीर्तिः  कलङ्किता।।*

नैतिक रूप से अनुचित एवम् अशोभनीय कृत्य द्वारा अपने स्वार्थ की पूर्ति कभी नहीं की जाए।

वानरराज बालि (जिसने अपने अनुज की पत्नी हरण का अक्षम्य अपराध किया था) का वध छल से करने के कारण भगवान श्री राम की कीर्ति भी कलंकित हो गयी थी।

One should never take recourse to morally very low and unfair means to achieve his objectives.

By killing Baali, the King of Vanars (who had kidnapped his brother's wife), in a clandestine manner, even Lord Ram's name and fame was tarnished.

शुभ दिन हो।

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Friday, November 29, 2019

कर्म

*यदतीतमतीतं तत् संदिग्धं यदनागतम्।*
*तस्माद् यत्प्राप्तकालं तन्मानवेन विधीयताम्।।*

जो अतीत है वह तो अतीत ही है, अर्थात् बीत चुका है, एवं जो आने वाला है वह अनिश्चित है। अतः अभी मिले समय अर्थात् वर्तमान से सम्बद्ध होवें एवं कर्म करें।

The Past is the Past, that is, it has passed, and the Future  is uncertain. So, get involved with the Present and do the deeds.

शुभ दिन हो।

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Thursday, November 28, 2019

भाव

*न देवो विद्यते काष्ठे न पाषाणे न मृण्मये।*
*भावे हि विद्यते देवस्तस्माद् भावो हि कारणम्॥*

न ही लकड़ी या पत्थर की मूर्ति में, न ही मिट्टी में अपितु परमेश्वर का निवास तो भावों में यानि हृदय में होता है। इसलिये जहां भाव होता है परमेश्वर वहीं प्रकट हो जाते हैं।

Neither in the idol of wood or stone, nor in the clay, but God resides in the heart, that is, in emotions. Therefore God appears where there is emotion. The belief that makes us feel the presence. Hence, only the emotion/feeling matters – not the material.

शुभ दिन हो।

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Wednesday, November 27, 2019

कटु वचन

*संरोहति अग्निना दग्धं वनं परशुना हतं I*
 *वाचा दुरुक्तं बीभत्सं न संरोहति वाक् क्षतम्॥*

आग से नष्ट हुए या कुल्हाडियों से काटे गये वन में भी धीरे-धीरे पेड़-पौधे उगने लगते हैं, किन्तु अप्रिय और कटु वचनों से दिये गये घाव कभी नहीं भर पाते।

A forest burnt down by fire, or cut down by axe will eventually grow back. But wounds caused by harsh, inappropriate words will never heal.

शुभ दिन हो।

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