*जगत में झूठी देखी प्रीत।*
*अपने ही सुख सों सब लागे, क्या दारा क्या मीत॥*
*अंतकाल संगी नहिं कोऊ, यह अचरज की रीत॥*
*नानक भव-जल-पार परै जो गावै प्रभु के गीत॥*
कार्तिक पूर्णिमा, देव दीपावली, प्रकाश परब एवं *गुरु नानक देव* की जयंती पर आएँ हम अपने कर्तव्यों (धर्म) के प्रति सजग होने का संकल्प लें एवं दैवीय शक्तियों को स्वयं में अनुभव करें।
आज चंद्र ग्रहण में हम अधिकाधिक साधना करें, उत्सव न मनाएँ।
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