*कबिरा यह तन जात है, सके तो ठौर लगा,*
*या सेवा कर साधु की, या गोविन्द गुण गा।*
इस निश्चित मृत्यु वाले शरीर के सदुपयोग करने की सीख देते हुए कबीर जी कहते हैं कि अपने जीवन को उचित एवं लाभकारी कार्यों यथा साधु सज्जनों की सेवा अथवा भगवत् भक्ति में लगाना चाहिए।
The great saint _Kabir_ told us to use wisely this mortal life by doing righteous deeds like serving good people or praying the God.
*जन्म मनुज जो पाएँ हम,*
*प्रभु गुण गाते जाएँ हम,*
*सज्जन सेवा कर्म हमारा,*
*जीवन लक्ष्य बनाएँ हम।*
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