भैया लोगो IPL में कुछ ऐसा मस्त हो गए थे की यहाँ आने का समय ही नहीं मिला. अब देखिये की ललित मोदी को हटा दिया गया और चिरायु आ गए. देखिये की अब ये क्या करते है. अजी हमें तो खेल का मज़ा लेना है हम तो है सिम्पल जनता जो की इन सारी मुश्किलों से जा दूर ही रहती है . और सुनाइए की IPL का मज़ा आया या नहीं या फिर सिर्फ काम में ही busy थे. अब राजा चिरायु अमिन को अपना काम करने देते है. हम लेते है २०-२० का मज़ा. राजा मस्ती की बहार है डूब जाओ.
लल्लन
Monday, April 26, 2010
Monday, April 5, 2010
गर्मी से बेहाल
गुरु गर्मी तो ऐसे पड़ रही है की पूछो मत भाई इतना परेशान हो गए है की क्या बताये न घर से निकला जा रहा है न ही ऑफिस के बाहर चाय की चुस्की लेने का मन कर रहा है. भाई हम तो पसीने से सराबोर हो जाते है. वो तो कहिये की ऑफिस वालो की मेहरबानी है की AC लगवा रखे है नहीं तो कसम बता रहे है हालत पतली हो जा रही है गुरु. न समोसा खाने का मन कर रहा है न ही चाय पीने का मन कर रहा है. अरे गुरु आप लोग भी हमें कभी कभी याद कर लिया करे तो इससे हमें भी मज़ा आ जायेगा. रज्ज़ा मस्ती उसी में है की दिन भर फक्कड़ी करो शाम को खाना खा के सो जाओ. आप बताये की क्या हो रहा है पिक्चर कोई देखि की नहीं गुरु. आप सब के मस्त रहने की आशा करते है.
लल्लन
लल्लन
Tuesday, March 30, 2010
क्या हो रहा है?
गुरु लोगो माफ़ी चाहते है की हम इतने दिन आपसे दूर रहे, गुरु बहुत काम करवाती है कंपनी अब तो हाल ये है की जाना तो तय है पर आना कब है ये तो वही जा के पता चलता है. इतने दिन आप लोगो ने क्या किया इतने दिन गुरु समोसा खा खा के मोटे हो गए पर क्या करे गुरु बनारसी है तो अंदाज़ भी बनारसी है न, अरे गुरु अपने बारे में भी तो बताओ यार मीठे में क्या अच्छा लगता है हमको तो गुरु सुबह के समय जलेबी और शाम को रबरी अच्छी लगती है. वैसे तो हम मस्तिया रहे है पर ऑफिस का काम भी करते है. सबसे कहते है की गुरु तुम मस्त रहो अपना काम करो वरना सर सर कहोगे और डाट दिए जाओगे. इसलिए तो हम अपना काम भी मस्ती में करते है और सबको मस्त रखते है.
तो अपना अंदाज़ सबसे निराला है मेरे गुरु ने कहा है की मेरा वक़्त बदलने वाला है.
आपका लल्लन.
तो अपना अंदाज़ सबसे निराला है मेरे गुरु ने कहा है की मेरा वक़्त बदलने वाला है.
आपका लल्लन.
Tuesday, March 23, 2010
बचपन की यादें
गुरु लोगो याद है अपना बचपन, खूब सारी मस्ती करते थे, बड़े हमें डाटते रहते थे पर हमें कुछ फरक नहीं पड़ता था. बस खेलते रहो धुप में दौड़ते रहो. गुरु उस ज़माने में कोई भी काम करते थे तो बस उसमे डीपली घुस जाते थे. डीपली तो मतलब डीपली . भाई लोगो यार पेड़ पे चढ़ जाते थे. गुरु न गिरने का डर न डाट खाने का डर पुरे दिन भर धामा-चौकड़ी करते रहते थे. स्कूल की किताब के बीच में चाचा चौधरी और साबू के किस्सों की किताब तो कभी सुपर कमांडो ध्रुव तो कभी नागराज की किताबे पढ़ते रहते थे, जब हम छोटे थे तब हम जोइंट फैमिली में रहते थे हम खुद ही एक टीम हो जाते थे. जिस दिन चाहो एक IPL खेल लेते थे . भाई वो दिन तो बहुत याद आते है गुरु खास कर जब ऑफिस में बैठ कर ढेर सारा काम करना पड़ता है. तब लगता है की बच्चे ही होते तो सही रहता गुरु. दोस्त यहाँ भी है पर दिन भर खेलने वाले वो दोस्त अब कहा रहे. भैया अब तो हम अपने बचपन के दिन को याद करके गर्मी बिता लेते है. क्या करे गुरु गुड्डू के साथ अपने बचपन के दिन को याद करते है और हस पड़ते है.
लल्लन
लल्लन
Wednesday, March 17, 2010
जय माता दी.
भक्तो क्या हो रहा है? गुरु यार बहुत busy हो गए है , सोच रहे है की अपना नाम ही बदल दे busy पाण्डेय रख ले. अरे गुरु आप लोग तो बात करते ही नहीं है पैर आप लोग परेशां न हो हम आप को अकेले नहीं रहने देंगे. भैया जी लोग आप लोग मस्ती कर रहे है रज्ज़ा आप लोग भी कुछ बताइए अपने बारे में बात करने में इतना मज़ा नहीं आता है अब हम सुब लोग आपस में बात करेंगे तो मज़ा बहुत आएगा. कोई बात नहीं मेरी तरफ से आप लोग निराश नहीं होंगे.
लल्लन
लल्लन
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